लखनऊ । समाजवादी पार्टी में एक बार फिर वही हुआ, जिसकी संभावना थी। 229 में से 204 विधायकों को अपने पीछे खड़ा कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद को बॉस साबित किया तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सिर्फ 20 घंटे के अंदर अपना फैसला पलटते हुए उनका निष्कासन वापस ले लिया। उनके साथ रामगोपाल भी बहाल हो गए मगर झगड़ा अभी खत्म नहीं माना जा सकता। रविवार को जनेश्वर मिश्र पार्क में होने वाले अधिवेशन में कुछ अहम फैसले होने की संभावना है। अमर सिंह को सपा से और शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला भी संभावित है। अखिलेश राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का चेहरा घोषित किये जा सकते हैं।
शुक्रवार को जब राम गोपाल यादव ने राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाने का एलान किया था तो मुलायम सिंह ने अखिलेश को सपा से निष्कासित कर दिया। राम गोपाल भी दो माह के अंदर दूसरी बार निकाले गए जिसकी प्रतिक्रिया में अखिलेश ने शक्ति प्रदर्शन का निर्णय किया। विधायकों को शनिवार की सुबह साढ़े नौ बजे अपने सरकारी आवास पर बुलाया। चंद घंटे की नोटिस के अंदर पार्टी के 229 में 204 विधायक और कांग्र्रेस के तीन विधायक पहुंच गए जिन्होंने लिखित रूप से अखिलेश के नेतृत्व में आस्था व्यक्त की। जब यह प्रक्रिया चल रही थी, उसी समय मंत्री आजम खां सुलह अभियान में लगे थे। वह मुलायम सिंह यादव से मिले और फिर अखिलेश के घर पहुंचे। फिर उन्हें लेकर दोबारा मुलायम के घर पहुंचे जहां आक्रोश व भावनाओं का गुबार निकला। वहीं शिवपाल बुलाये गए और मुलायम ने 20 घंटे पहले सपा से निकाले गए अखिलेश व राम गोपाल का निष्कासन का फैसला वापस ले लिया। यह जानकारी शिवपाल ने ट्वीट के जरिये दी। उन्होंने लिखा-‘नेताजी के आदेशानुसार अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव का पार्टी से निष्कासन तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है और अब सब मिलकर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ेंगे और पुन: उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।
इसके फौरन बाद अखिलेश, मुलायम के आवास से निकल विधायकों के बीच पहुंचे और बोले,-‘अभी नेताजी से मिलकर आ रहा हूं, अब कल अधिवेशन में बोलूंगा। विधायकों की ओर से दबाव पडऩे पर अपने साढ़े चार मिनट के भाषण में अखिलेश ने कहा कि नेता जी (मुलायम सिंह) के विरुद्ध कुछ न बोला जाए। यह जुमला इस बात का संकेत है कि रविवार को होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में कम से कम मुलायम के विरुद्ध कोई प्रस्ताव नहीं होगा। अलबत्ता अमर सिंह व शिवपाल के विरुद्ध फैसला संभव है। दूसरी ओर मुलायम के घर से निकले शिवपाल यादव पार्टी कार्यालय पहुंचे जहां मौजूद तकरीबन डेढ़ दर्जन विधायकों, प्रत्याशियों मुलाकात की और चुनाव में लगने को कहा।
सीएम आवास पर जमावड़ा
पांच कालिदास मार्ग पर विधायकों, प्रत्याशियों की बैठक में सपा के 204 विधायक, 37 एमएलसी व तकरीबन 70 प्रत्याशी पहुंचे थे। कांग्रेस के विधायक माविया अली, मुकेश श्रीवास्तव और कौशलेन्द्र भी शामिल हुए। इनमें दो प्रत्याशी भी हैं। प्रदेश में सपा विधायकों की संख्या-229 है।
कौन क्या बोला
मंत्री मनोज पांडेय ने कहा कि मेरे आराध्य और राजनीति में मुकाम देने वाले नेताजी (मुलायम सिंह) हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश जी ने विकास के ऐतिहासिक कार्य किये हैं। उनके सिवा दूसरा चेहरा नहीं है। उनके नेतृत्व में सरकार बनाने को ताकत झोंक दूंगा।मंत्री राम गोविंद चौधरी ने कहा कि चंद्रशेखर के साथ राजनीति की, मुलायम ने कहा साथ आओ विधायक बनाऊंगा। आया तो विधायक, मंत्री बनाया मगर अब अखिलेश मेरे मुख्यमंत्री व नेता हैं। हर फैसले में अखिलेश के साथ रहूंगा। मंत्री इकबाल महमूद ने कहा कि मुलायम ने मुस्लिमों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने अपमान भी सहा मगर डिगे नहीं। उम्मीद है आप भी (अखिलेश) इस लाइन पर मजबूती से बढ़ेंगे, हम साथ हैं, रहेंगे।मंत्री कमाल अख्तर ने कहा कि अब तक नेताजी के साथ थे अब आपके साथ हैं। आप जो भी फैसला लेंगे, उसमें मैं भी साथ हूं। सपा से बर्खास्त एमएलसी उदयवीर ने कहा कि सपा का अधिवेशन होगा, जिसमें प्रतिनिधि अपना फैसला लेंगें।
मंत्री विधायक नहीं पहुंचे
परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शारदा प्रताप शुक्ला और मत्स्य मंत्री हाजी रियाज अहमद । विधायक रामलाल अकेला, पारसनाथ, शादाब फातिमा, नारद राय, अंबिका चौधरी, गायत्री प्रजापति, सुरेन्द्र विक्रम, राज किशोर सिंह, ओम प्रकाश सिंह, शिवपाल यादव, हाजी रियाज अहमद, माता प्रसाद पांडेय नहीं पहुंचे।
मंत्री पारसनाथ की हूटिंग
ग्रामीण अभियंत्रण मंत्री पारसनाथ यादव के मुख्यमंत्री आवास पहुंचने पर कुछ लोगों ने उनकी हूटिंग की, जिससे वह चंद मिनट के अंदर ही वापस चले गए। ऐसे ही विधायक गजाला लारी को पहले आवास से लौटा दिया गया फिर फोन कर बुलाया गया।
जय, जय, जय अखिलेश
सियासत की कठोर दुनिया में खुद को बॉस साबित करने वाले अखिलेश यादव के समर्थन में उनके ही सरकार आवास पर कई विधायकों ने जय..जय…जय अखिलेश के नारे लगाकर उनका समर्थन किया। कुछ लोगों ने अखिलेश के साथ मुलायम के भी नारे लगाये।
अधिवेशन की वह शक्ल नहीं होगी: आजम
समाजवादी परिवार में सुलह कराने की पहल करने वाले मंत्री मोहम्मद आजम खां ने कहा कि अच्छे माहौल में बात हुई है। निष्कासन से लोग नाराज हुए, लेकिन अब कार्रवाई वापस हो गई। अब सब ठीक है। इस प्रकरण को लेकर सबसे अधिक चिंता मुसलमानों में है। अब रविवार को होने जा रहे अधिवेशन की वह शक्ल नहीं होगी, जो होने वाली थी। इशारा यह था कि कम से कम इसमें मुलायम के विरुद्ध कुछ नहीं होने जा रहा है।आजम ने कहा कि मुख्यमंत्री का शुक्रिया कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले, कहीं कोई शिकवा नहीं था। उस समय लगा कि एक बाप, बेटे से मिल रहा है। कहा, समस्याएं सुलझ जाएंगी।
लालू ने किया फोन
मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार व राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने भी शनिवार को पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फिर मुलायम को फोन कर बात की और विवाद खत्म करने का आग्रह किया। बाद में लालू ने ट्वीट किया कि-आलतू-फालतू लोगों को किनारे कर विवाद खत्म किया जाना चाहिए। मैंने मुलायम, अखिलेश से अनुरोध किया है।