अंबाला: घायल बच्चों को हंगामे के बाद मिली एंबुलेंस

अंबाला सिटी। सड़क हादसे में घायल भाई-बहन को शहर के नागरिक अस्पताल से चंडीगढ़ पीजीआई के लिए काफी देर तक एंबुलेंस नहीं मिली। परेशान परिजनों ने हर किसी से गुहार लगाई, मगर फायदा नहीं हुआ। लिहाजा अपने बच्चों को सामने तड़फता देख घायलों के परिजनों को हंगामा करना पड़ा।

मामले को बढ़ता देख अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और 15 मिनट बाद सरकारी एंबुलेंस से दोनों भाई-बहन को चंडीगढ़ पीजीआई भेज दिया। यह स्थिति तब हुई जब नागरिक अस्पताल में तीन एंबुलेंस खड़ी थी। परिजनों के पूछने पर बार-बार अस्पताल प्रबंधन यही कह रहा था कि एंबुलेंस भेज रहे हैं कुछ ने तो उन्हें 112 के कार्यालय तक जाने के लिए कह दिया। ऐसे में परिजनों के लिए अपने बच्चों को समय पर उपचार दिलाना भी भारी पड़ता दिखाई दिया। ऐसा तब दिखा जब स्वास्थ्य विभाग तमाम सुविधाएं देने के दावे करता है।

सड़क हादसे में घायल हुए थे दोनों
सोमवार सुबह करीब 11 बजे नग्गल से अधोमाजरा बाइक पर लौट रहे 14 वर्षीय अभिनव और 18 वर्षीय साक्षी की बाइक अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पेड़ से जा टकराई। इसके चलते दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। इसमें अभिनव के सिर से काफी खून बह गया था। घायलों को पहले नग्गल अस्पताल में ले जाया गया। जहां उसे उन्हें सिटी नागरिक अस्पताल रेफर कर दिया। सिटी नागरिक अस्पताल पहुंचने पर प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने दोनों को पीजीआई रेफर कर दिया।
रेफर करने के बाद पिता शेर सिंह अपने घायल बेटे को स्ट्रेचर पर लिटाकर एबुलेंस का इंतजार करने लगे, लेकिन 15 मिनट तक इंतजार करने के बाद भी एबुलेंस नहीं आई। जबकि अस्पताल परिसर में तीन एबुलेंस थीं। उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों से पूछा कि कब तक एंबुलेंस आएगी, मगर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। कर्मचारी यही कह रहे थे बस अब एंबुलेंस आने वाली है। इसके बाद परिजनों को बताया कि 112 पर कॉल करें। ऐसे में घायल के पिता शेर सिंह और अन्य परिजन आक्रोशित हो गए और अस्पताल में हंगामा कर दिया। सूचना मिलते ही अस्पताल में तैनात पुलिस कर्मी भी मौके पर पहुंचे और उन्हें समझाने का प्रयास किया। इसी बीच एबुलेंस भी आ गई और दोनों बच्चों को चंडीगढ़ ले जाया गया।
वर्जन
अस्पताल से किसी मरीज को रेफर किया जा रहा है तो देरी नहीं की जाती है मरीज को तत्काल एंबुलेंस से भेजना प्राथमिकता होती है। अगर एंबुलेंस देने में देरी हुई है तो मामले की जांच कराई जाएगी।
-डॉ. हितार्थ, मेडिकल ऑफिसर, शहर नागरिक अस्पताल

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