अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में संस्कृति सभ्यता से असम के खानपान से लेकर रूबरू होंगे पर्यटक

ब्रह्मसरोवर के पुरूषोत्तमपुरा बाग में पैवेलियन लगाया जाएगा, जिसमें ‘असम कल्चर विलेज’ प्रदर्शित होगा। इसके जरिए सांस्कृतिक धरोहर पर्यटकों को देखने के लिए मिलेंगी। पैवेलियन में असम कल्चरल विलेज का स्वरूप देने का अनोखा प्रयास किया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में इस बार पर्यटक असम प्रदेश के खानपान से लेकर सांस्कृतिक सभ्यता से भी रूबरू हो सकेंगे। ब्रह्मसरोवर तट पर असम कल्चरल विलेज सजाया जाएगा, जिसके साथ ही वहां के कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी रंगारंग प्रस्तुतियां देंगे। इस बार महोत्सव को लेकर असम प्रदेश को राज्य सहभागी बनाया गया है, जिसके चलते असम के अधिकारियों के एक दल ने न केवल ब्रह्मसरोवर का जायजा लिया बल्कि जिला उपायुक्त शांतनु शर्मा व कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव एवं अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तृत योजना भी तैयार की।

असम सरकार के सांस्कृतिक कार्य विभाग की निदेशिका मीनाक्षी दास नाथ, सांस्कृतिक विभाग की उप सचिव नैना बोहरा, नीलम दास व राजन एंगटी ने यहां पुरुषोत्तमपुरा बाग के साथ-साथ पूरे ब्रह्मसरोवर को देखा तो वहीं केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल से पूरे महोत्सव की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की। वहीं सहभागी राज्य के तौर पर असम सरकार की ओर से यहां किए जाने वाले हर प्रबंध को लेकर भी खाका तैयार किया गया। वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम को लेकर भी चर्चा की गई।

इसके बाद उन्होंने बताया कि ब्रह्मसरोवर के पुरूषोत्तमपुरा बाग में पैवेलियन लगाया जाएगा, जिसमें ‘असम कल्चर विलेज’ प्रदर्शित होगा। इसके जरिए सांस्कृतिक धरोहर पर्यटकों को देखने के लिए मिलेंगी। पैवेलियन में असम कल्चरल विलेज का स्वरूप देने का अनोखा प्रयास किया जाएगा। यह पैवेलियन 17 से 24 दिसंबर तक लगाया जाएगा। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन सात से 24 दिसंबर तक ब्रह्मसरोवर पर किया जा रहा है। मुख्य कार्यक्रम 17 से 24 दिसंबर तक होंगे और 17 दिसंबर को ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ महोत्सव का शुभारंभ करेंगे।

दोनों प्रदेशों के और मधुर बनेंगे संबंध : सिंघल
केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने कहा कि इस बार राज्य सहभागी बने असम की तरफ से पैवेलियन के अंदर असम कल्चरल विलेज बनाने का प्रयास किया जाएगा। इस विलेज में असम सरकार की उपलब्धियों को लेकर प्रदर्शनी, असम की शिल्पकला, असम का खानपान व सांस्कृतिक कार्यक्रम मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेंगे। इससे जहां देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले लाखों लोग असम की संस्कृति, सभ्यता से रूबरू होंगे वहीं इससे दोनों राज्यों के बीच मधुर संबंध भी बनेंगे।

ये प्रदेश रह चुके सहभागी
पिछले वर्ष ही मध्यप्रदेश सहभागी रहा था जबकि इससे पहले वर्ष 2018 में गुजरात, 2017 में उत्तरप्रदेश सहभागी रह चुका है। यही नही उत्तराखंड भी सहभागी राज्य बन चुका है।

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