मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नियुक्त सदस्यों को 1.5 लाख रुपये प्रति बैठक मिलेंगे. इसके अलावा उन्हें हवाई यात्रा तथा अन्य खर्चों की अदायगी भी की जाएगी. लेकिन उन्हें नीतिगत दर के बारे में निर्णय को लेकर सात दिन पहले और उसके बाद उतने दिन उन्हें कोई बयान नहीं देना होगा और इस विषय में अत्यंत गोपनीयता बरतनी होगी.
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि चुप्पी और गोपनीयता की शर्त समिति में रिजर्व बैंक की ओर से रखे गए तीन अन्य सदस्यों पर भी लागू होगी. इसमें गवर्नर भी शामिल हैं. समिति पिछले साल अक्तूबर से नीतिगत दर के बारे में निर्णय कर रही है.
रिजर्व बैंक ने समिति के कामकाज के लिये इस महीने की शुरूआत में अधिसूचित नियमन के तहत केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली समिति को साल में कम-से-कम चार बैठकें करनी होती है. साथ ही उन्हें लाभ कमाने वाले संगठनों के साथ बातचीत तथा व्यक्तिगत तथा वित्तीय लेन-देन के दौरान अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक हितों को लेकर सतर्क रहना होगा.
छह सदस्यीय एमपीसी का गठन सितंबर 2016 में हुआ. इसमें तीन सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है जबकि शेष सदस्य आरबीआई के हैं. इसमें आरबीआई गवर्नर शामिल हैं. नियमन के तहत सरकार द्वारा नियुक्त सदस्यों को प्रत्येक बैठक के लिये समय देने और कार्य के लिये 1,50,000 रुपये मिलेंगे. साथ ही हवाई यात्रा, स्थानीय परिवहन और होटल खर्च भी मिलेंगे. इसकी सीमा पर बैंक का केंद्रीय बोर्ड समय-समय पर निर्णय करेगा.
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समिति को एक साल में कम-से-कम चार बार बैठक करने की जरूरत है. आरबीआई इस समिति की द्विमासिक बैठक बुलाता है. समिति में सरकार की ओर से नियुक्त सदस्यों में भारतीय सांख्यिकी संस्थान के प्रोफेसर चेतन घाटे, दिल्ली स्कूल आफ एकोनामिक्स की निदेशक पामी दुआ और इंडियन इंस्टीट्यूटफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर रवीन्द्र एच ढोलकिया हैं.
इनकी नियुक्ति चार साल के लिये या अगले आदेश तक जो भी पहले, के लिये की गयी है. समिति में रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर उर्जित पटेल के अलावा, डिप्टी गवर्नर वीरल वी आवार्य तथा कार्यकारी निदेशक एम डी पात्रा हैं. नियमन के अनुसार सभी सदस्यों को अपनी संपत्तियों और देनदारी के बारे में हर साल घोषणा करने की आवश्यकता होगी.
इसमें कहा गया है कि एमपीसी की बैठक की घोषणा पहले करनी होगी. साधारण रूप से कम-से-कम 15 दिन पहले बैठक बुलानी होगी लेकिन आपात बैठक 24 घंटे के भीतर बुलायी जा सकती है. इसके अनुसार सदस्यों को नीतिगत घोषणा से सात दिन पहले और उसके सात दिन बाद तक इस विषय में कोई वक्तव्य नहीं देना होगा. इस अवधि के दौरान वे मौद्रिक नीति से संबद्ध मुद्दों के संदर्भ में कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे. साथ ही सदस्य मौद्रिक नीति पर विचार-विमर्श के दौरान प्राप्त सूचनाओं की जानकारी समिति के बाहर नहीं कर सकते.