लखनऊ.राजधानी के बक्शी का तालाब (बीकेटी) इलाके में बने GCRG मेडिकल कॉलेज में 14 डेडबॉडी राम-रहीम डेरा सच्चा सौदा (सिरसा) से भेजे जाने के मामले में नया मोड़ सामने आया हैं। DainikBhaskar.com के पास वो पूरी लिस्ट है जिसमें उन 14 डेडबॉडी की पूरी डिटेल हैं। पड़ताल में यह भी पता चला कि इसमें सिर्फ 3 शव ही डेरा सच्चा सौदा (सिरसा) से आए हैं। इससे पहले मीडिया के जरिए मामला सामने आने के बाद पुलिस और प्रशासन दोनों एक्टिव हो गए।
आगे पढ़िए क्या कहते हैं GCRG मेडिकल कॉलेज के अफसर…
-GCRG मेडिकल कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेस्टिव ऑफिसर आशिफ अतुल्लाह खान ने बताया, हमारे कॉलेज की तरफ से मेडिकल की पढ़ाई के लिए सभी समाज सेवी संस्थाओं, मेडिकल कॉलेज, पुलिस डिपार्टमेंट और ट्रस्ट को लेटर लिखकर डेडबॉडी मुहैया कराने की अपील की गई थी।
-इसके बाद डेरा सच्चा सिरसा जिले से 2 और डेरा सच्चा से जुड़े जींद हरियाणा से एक बॉडी आई थी।
-इसके आलावा अन्य बॉडी, हरियाणा और पंजाब के अलग-अलग डिस्ट्रिक्ट से बॉडी डोनेशन के तौर पर कॉलेज को मिली थी। फिलहाल हमको बताया गया था ये सभी मृतक राम-रहीम के फॉलोवर्स हैं।
ये हैं वो बॉडी की डिटेल जिनको डोनेट किया गया
बॉडी-रिलेटिव-पता
-माया देवी- संदीप कुमार- मुक्तसर (पंजाब )
-सुदेश रानी- रामपाल- समराला (पंजाब)
-उषा रानी- सोहन लाल- मलौद (पंजाब )
-गुरजंत सिंह- हरसजजन- करतारपुर (पंजाब )
-संत सिंह- सुखमंदर- सिरसा (हरियाणा )
-सोना देवी- शीशपाल- उचाना, जींद (हरियाणा)
-पुरान राम- ज्ञान देवी- सिरसा (हरियाणा)
-सिलमा सेवी- सुमिर पुपली- भटिंडा (पंजाब )
-कॉर्नेल कौर- सुरजीत सिंह- भदलवड़ (पंजाब )
-शीला- चंदरभान- फतेहाबाद (हरियाणा )
-सुमेर सिंह- लखविंदर सिंह- जींद हरियाणा
-हरगोबिंद- बहादुर- कैथल (हरियाणा)
-शांता देवी- बहादुर- कैथल (हरियाणा)
-रामदेवी- मुकेश कुमार- कैथल (हरियाणा)
रिसर्च के लिए मेडिकल कॉलेज ऐसे ले सकते हैं डेडबॉडी
-केजीएमयू के एनाटॉमी डिपार्टमेंट के रिसर्च यूनिट के डॉ. सुरेश कुमार ने कहा, डेडबॉडी लेने के लिए किसी भी मेडिकल कॉलेज के पास परिजनों का सर्टिफिकेट होना चाहिए। इसके लिए कॉलेज को पहले से एक घोषणा पत्र जारी करके मेडिकल काउंसिल नियमों के तहत सभी को बताना होगा।
-इसके बाद परिजन शव को डोनेट करेंगे, वो माइनर न हो। दूसरी शर्त है कि डेडबॉडी 72 घंटे से ज्यादा पुरानी न हो। इसके बाद ही मेडिकल कॉलेज डेडबॉडी लेगा, वो डोनेट सर्टिफिकेट भी परिजनों को देगा।
डेडबॉडी पर दावा नहीं कर सकते थे डेरा अनुयायियों के परिजन, जुड़ने से पहले ये थी शर्त
-डेरे से जुड़े लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, डेरा सच्चा सौदा का अनुयायी बनने के लिए एक फॉर्म पर सिग्नेचर कराया था, जिसमें निम्न शर्तें होती थी…
1.यदि डेरा में रहते किसी अनुयायी की डेथ होती है तो उसके परिजन उसकी डेडबॉडी पर दावा नहीं कर सकते!
2.अगर डेरा में रहते किसी अनुयायी की मौत होती है तो डेडबॉडी का मालिक डेरा सच्चा सौदा होगा। वो चाहे तो अपने अनुसार को डेडबॉडी को डोनेट कर सकता है।
3.डेरा सच्चा सौदा के किसी अनुयायी की तबीयत खराब होती है तो इलाज कराने की अनुमति बाहर नहीं थी। उसको डेरे के अंदर इलाज कराना होगा।
4.उनकी डेडबॉडी को जलाया नहीं जा सकता है और न ही बहाया जा सकता है। उसको जमीन में दफन कर पेड़ लगाया जा सकता है।
5.डेडबॉडी क्षत-विक्षत स्थिति में न हो, इसके लिए डेडबॉडी का पोस्टमॉर्टम नहीं कराया जाएगा।
क्या कहते हैं जीसीआरजी मेडिकल कॉलेज के अधिकारी
-GCRG मेडिकल कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेस्टिव ऑफिसर आशिफ अतुल्लाह खान ने बताया, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी डेडबॉडी रखने के नियमों और परिजनों की तरफ से जारी एफिडेविट भी है।
-इसके साथ ही कॉलेज ने परिजनों को जारी बॉडी डोनेशन सर्टिफिकेट भी मौजूद हैं। अभी इस मामले की जांच चल रही है। जांच कम्प्लीट होने के बाद ही इस बारे में पूरी जानकारी दी जा पाएगी।