वहीं, आरोप है कि चेन्नई के आरके नगर में हो रहे उपचुनाव में वोटर्स को लुभाने के लिए पानी की तरह पैसे को बहाया जा रहा है। आयकर विभाग इस पर भी नजर बनाए हुए है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आयकर विभाग ने कुछ बिल्डरों और आनंद कुमार और उनके सहयोगियों से नजदीकी कारोबारी रिश्ता रखने वाली कुछ कारोबारी प्रतिष्ठानों के सर्वे किए और रिकार्डों की पड़ताल की।
समझा जाता है कि इस पड़ताल के दौरान आनंद कुमार और उनके सहयोगियों की कई कंपनियों में हिस्सेदारी का पता लगाया जा रहा है। हालांकि इन कारोबारी लेनदेन की सच्चाई की अभी विस्तृत पड़ताल जारी है। आयकर कानूनों के मुताबिक सर्वे के दौरान आयकर अधिकारी कारोबारियों या कंपनियों के मालिकों के प्रतिष्ठानों का दौरा करते हैं। इसके तहत कारोबारी प्रतिष्ठान के मालिकों की रिहायशी इमारतों पर छापे नहीं मारे जाते।
सर्वे ऑपरेशन के तहत आयकर अधिकारी कुमार और उनके सहयोगियों की कंपनियों की ओर से किए गए वित्तीय लेेनदेन की प्रामाणिकता भी जांच कर रहे हैं। साथ ही इन कंपनियों में उनकी पूंजी हिस्सेदारी के स्ट्रक्चर, अनसिक्योर्ड लोन और लेनदारों की भी जांच चल रही है।
अधिकारी अचल संपत्तियों में उनके निवेश और और उनके स्त्रोतों का भी पता कर रहे हैं। अधिकारी इस बात का भी सबूत तलाश रहे हैं कि कुछ बिल्डरों के यहां तो कुमार ने निवेश नहीं किया है। माना जा रहा है कि काले धन को सफेद करने के लिए कई कंपनियों में बेनामी निवेश किया गया है।