1900 स्कूलों का फैसला, 'मेड इन चाइना' प्रोडक्ट्स का नहीं करेंगे इस्तेमाल

1900 स्कूलों का फैसला, ‘मेड इन चाइना’ प्रोडक्ट्स का नहीं करेंगे इस्तेमाल

चीन और भारत के बदलते रिश्तों को देखते हुए मुंबई के स्कूलों में चीन में बनी चीजों पर बैन लगाने का ऐलान किया है. साथ ही स्कूल के छात्रों के माता पिता से भी अपील की है कि वे चीन में बनी वस्तुओं का इस्तेमाल न करें. मुंबई की स्कूल प्रिंसिपल एसोसिएशन की बैठक में ये फैसला लिया गया, इस एसोसिएशन के तहत करीब 1900 स्कूल आते हैं.1900 स्कूलों का फैसला, 'मेड इन चाइना' प्रोडक्ट्स का नहीं करेंगे इस्तेमाल

मुंबई के सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों और उनके परिजनों से मुंबई स्कूल एसोसिएशन ने चीन में बने सामानों को नहीं खरीदने को कहा है. सभी स्कूलों के प्राचार्यों से कहा गया है कि वे स्कूल के बच्चों और उनके माता-पिता से कहें कि चीन में बने सामान का इस्तेमाल न करें.

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प्रिंसिपल एसोसिएशन के चेयरपर्सन मनोहर देसाई ने कहा कि जिस तरह बॉर्डर पर विवाद के बीच चीन हमें लगातार युद्ध की धमकी दे रहा है, ऐसे में हमें चीन में बने सामानों का बहिष्कार करना चाहिए. एसोसिएशन के सदस्यों का मानना है कि यह सिर्फ एक छोटा सा कदम है जिससे हम सीमा पर तैनात अपने सैनिकों के प्रति समर्थन दिखा सकते हैं. एसोसिएशन चेयरपर्सन का कहना है कि पेन, कंपास बॉक्स और इरेजर जैसी सभी चीजें मेड इन चाइना हैं, अगर चीन के आर्थिक लाभ को थोड़ा भी नुकसान पहुंचा सकते हैं तो इसका मतलब है कि हम कुछ तो कर रहे हैं.

एसोसिएशन अब एक सर्कुलर प्रिंट करने वाला है जिसे सभी स्कूलों को भेजा जाएगा. एसोसिएशन का मानना है कि स्कूलों की जिम्मेदारी है कि वह छात्रों में देशभक्ति की भावना जगाएं. सिर्फ चीन में बने सामानों के बहिष्कार करने को न कहा जाए बल्कि उन्हें करंट अफेयर्स से जुड़े मसलों पर जागरुक किया जाए.

 

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