नई दिल्ली: यह कैसी दोस्ती है…न कोई पुराना रिश्ता, न कभी मिले…किसी दोस्त के जरिए तार जुड़े…फोटो देखा…आदतें समझीं और …दोस्ती हो गई. कई बार तो जो चेहरा दिखाई दे रहा है वह वास्तव में नकली है और तो और यहां तक कि नाम-पता भी नकली…! जी हां… यह दोस्ती फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया की है. जब चाहा दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया…जब चाहा हाथ झटक दिया.. यहां दोस्ती जितनी आसान है, उतनी ही भरोसे की कमी है.. यह जानना मुश्किल हो सकता है कि कौन किस उद्देश्य से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है.नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छिपी रहे..
सोशल मीडिया पर दोस्ती जितनी सहज दिखाई देती है, वास्तव में उतनी सहज होती नहीं है. जिनको या जिनके बारे में आप पहले से जानते हैं, उनसे दोस्ती में कोई मुश्किल नहीं होती. लेकिन इसके अलावा दोस्त के दोस्त से दोस्ती और फिर उनके दोस्त से दोस्ती की जो कड़ी बनती जाती है उस कड़ी के आगे बढ़ने के साथ-साथ भरोसा कम होता जाता है.
अक्सर खबरें सुनने को मिलती हैं कि फेसबुक पर दोस्ती हुई, सपने दिखाए और बेवकूफ बनाकर रुपये ऐंठ लिए…और इससे आगे दोस्ती की…प्यार हो गया और फिर धोखा..हालांकि इसका दूसरा पक्ष भी है जिसमें इस तरह कि खबरें हैं… कि प्यार हुआ और शादी कर ली. या ऐसी खबरें भी कि.. फेसबुक फ्रेंड ने खून देकर बचाई दोस्त की जान..
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे.. तेरा साथ न छोड़ेंगे, कुछ इस तरह करना चाहिए दोस्ती का इजहार
किससे करें दोस्ती…
सोशल मीडिया पर दोस्त बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. आपके परिवार और पहले से मौजूद दोस्तों से सोशल मीडिया पर जुड़ने में कोई समस्या नहीं होती. ऐसे दोस्त जिनसे आपकी पहले से मित्रता है के दोस्तों से दोस्ती करते समय उनके बारे में अपने मौजूदा दोस्त से जान लेना चाहिए.. इसके बाद फ्रेंडशिप चेन को और आगे बढ़ाने पर सतर्कता जरूरी हो जाती है. दोस्त के दोस्त के दोस्त यदि मित्रता करना चाहते हैं तो उनकी आदतें और व्यवहार के बारे में जान लेना जरूरी होता है. उनकी वॉल पर देखें कि वे क्या-क्या शेयर करते हैं..उनका बैकग्राउंड क्या है..उनकी और आपकी रुचियां मेल खाती हैं या नहीं. यदि उपयुक्त लगे तो दोस्ती करें अन्यथा हाथ न मिलाएं. ऐसे दोस्तों पर बाद में भी नजर रखने की जरूरत होती है. कई बार जो जैसा दिखाई देता है वह वैसा होता नहीं है. उसकी असलियत जल्द ही पता चल सकती है.
कबके बिछड़े हुए हम आज यहां आके मिले…
सोशल मीडिया पर काफी उजला पक्ष है पुराने बिछड़े दोस्तों का फिर से मिलना. मान लीजिए आपकी उम्र 40-45 साल है. आप जब 10 साल के थे तब किसी दूर के शहर में रहते हुए आपका कोई दोस्त बना था. समय के साथ आप और वह बिछड़ गए, यहां तक कि कुछ हद तक एक-दूसरे को भूल भी गए. अचानक आपको उसका खयाल आया और आपने सोशल मीडिया पर सर्च कर डाला…और वह आपको मिल गया.. सालों पुरानी दोस्ती पुनर्जीवित हो गई. खास तौर पर फेसबुक पर पुराने दोस्तों का मिलन आम बात है.
सोशल मीडिया पर फ्रेंडशिप डे
फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप आदि पर आज फ्रेंडशिप डे जमकर मनाया जा रहा है. संदेश पर संदेश दिए जा रहे हैं. कुछ संदेश-