योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. माना जा रहा है कि योगी को सीएम बनाने का फैसला पार्टी पहले ही कर चुकी थी, लेकिन इसे गोपनीय रखा गया. बहरहाल, योगी को सीएम बनाकर भाजपा की कई मुद्दों पर नजर है. आइए जानते हैं उन वजहों को जिनके चलते योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया गया है.
बीजेपी की टॉप लीडरशिप ने योगी को सामने लाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. यानी ‘किलिंग टू बर्डस विद वन स्टोन का फॉमूर्ला’ अपनाया. पीएम मोदी और शाह के अलावा आरएसएस ने अपना मंतव्य साफ कर दिया है. राज्य में पार्टी निगाहें 2019 में होने वाले लोकसभा मिशन पर टिकी हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक योगी को सीएम की कमान सौंपने का फैसला गोरक्षपीठ में बहुत पहले हो चुका था. इस पर आरएसएस और संत समाज ने अपनी मुहर लगाई थी. लेकिन इलेक्शन बगैर सीएम चेहरे के लड़ा गया था, लिहाजा इस बात का खुलासा नहीं किया गया.
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यह माना जा रहा था कि प्रशासनिक लिहाज से यूपी के बड़ा होने और योगी को अनुभव नहीं होने के चलते भाजपा ये दांव नहीं खेलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पार्टी ने राजनाथ सिंह पर दांव लगाने के बजाय मंथन के बाद योगी पर पांसा खेला.
योगी पीएम मोदी के करीबी और चहेते माने जाते हैं. लव-जेहाद जैसे मुद्दों को उन्होंने सियासी रंग दे दिया. पूर्वांचल में उनकी हिंदुत्ववाहिनी सेना अलग पहचान रखती है.
दक्षिण भारत में शिवसेना हिंदुत्व का झंडा बुलंद करती है. कभी बालासाहब ठाकरे को ‘हिंदुत्व का शेर’ के नाम से जाना जाता था. वही स्थिति उत्तर भारत में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदुत्व वाहिनी सेना की है.
अहम बात यह है कि योगी के साथ ही पार्टी में जिन लोगों को सत्ता की कामान सौंपी गई है, वे सभी नए चेहरे हैं, उन्हें राज्य संचालन का अनुभव नहीं है.