सीएम युवा उद्यमी विकास अभियान लक्ष्य से कोसों दूर, बैंकों की मनमानी से सिर्फ 25 फीसदी को ही मिला कर्ज

पिछले साल अप्रैल में लॉन्च हुई मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना दिसंबर से परवान चढ़ सकी और धड़ाधड़ आवेदन शुरू हुए। योजना में बिना गारंटी और ब्याज के पांच लाख रुपये तक के कर्ज की व्यवस्था है। लेकिन, बैकों की मनमानी से यह अभियान लक्ष्य से कोसों दूर है।

राजधानी लखनऊ में युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए जोर शोर से शुरू हुई सीएम युवा उद्यमी विकास अभियान योजना अभी भी अपने लक्ष्य से कोसों दूर है। बैंकों की मनमानी व ढीलाशाही रवैयै की वजह से उद्योग विभाग ने 2000 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। लेकिन, कर्ज सिर्फ 482 प्रोजेक्ट यानि करीब 25 फीसदी को ही मिल सका है। उधर, बैंक ने भी जिन 904 प्रोजेक्ट को कर्ज की मंजूरी दी उसमें से भी सिर्फ 482 को ही कर्ज दिया। ऐसे में खत्म होते वित्तीय वर्ष में शेष 422 आवेदकों की सब्सिडी लटक सकती है।

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना से जनपद लखनऊ को इसके लिए 3500 प्रोजेक्ट का लक्ष्य दिया गया। इसमें 3500 आवेदकों को 5-5 लाख रुपये तक का कर्ज वितरण करना था। लेकिन, खत्म होते वित्तीय वर्ष में उद्योग विभाग सिर्फ 2000 प्रोजेक्ट यानी करीब 60 फीसदी को ही मंजूरी दे सका। उसमें भी कर्ज के लिए मंजूर हुए 904 प्रोजेक्ट में से सिर्फ 482 को ही कर्ज मिल सका है।

ऐसे में शेष अगर 31 मार्च तक शेष 422 आवेदकों को कर्ज नहीं मिला तो खत्म होते वित्तीय वर्ष में इनकी 10 प्रतिशत तक की सब्सिडी लटक सकती है। पांच लाख के कर्ज के हिसाब से यह 50 हजार रुपये प्रति प्रोजेक्ट बनती है। लिहाजा, उद्योग विभाग के अफसर से लेकर कर्मचारी तक हर आवेदक को फोन कर जल्द से जल्द सभी कार्यवाहियां पूरी कर इसी वित्तीय वर्ष में अपना कर्ज हासिल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

अगले वित्तीय वर्ष में ट्रेनिंग के बाद मिलेगी सब्सिडी
वित्तीय वर्ष 2024-25 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक सभी को बिना किसी ट्रेनिंग के 5 लाख तक का कर्ज दिया गया। इसमें जिन 482 आवेदकों को कर्ज मिला है उनको तो 50 हजार रूपये की सब्सिडी आसानी से मिल जाएगी। लेकिन, जिन 422 प्रोजेक्ट के आवेदकों को कर्ज की मंजूरी तो हुई लेकिन कर्ज नहीं मिला, उनको अगले वित्तीय वर्ष में सब्सिडी हासिल करने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी।

विभागीय सूत्रों के मुताबिक सब्सिडी पाने के लिए प्रोजेक्ट के खर्चे के बिल भी उसी वित्तीय वर्ष के होने चाहिए जिस वित्तीय वर्ष में कर्ज स्वीकृत हुआ है। अगले वित्तीय वर्ष से सब्सिडी दिलाने से पहले सबकी ट्रेनिंग भी जरूरी होगी। इस साल यह तय था कि पहले कर्ज दे दें, इसके बाद सभी की एक साथ ट्रेनिंग कराई जाएगी।

एलडीएम बोले, नहीं कोई लापरवाही
कुछ दिन पहले बैंकों की ढीलाशाही पर डीएम विशाख जी ने कड़ा रुख अख्तियार किया था और निजी बैंकों को लापरवाही पर उनके सरकारी खाते बंद करने की चेतावनी भी दी थी। लेकिन, लीड बैंक मैनेजर मनीष पाठक का कहना है कि सभी को कर्ज दिया जा रहा है। जिस प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कागज पूरे नहीं हुए होंगे, सिर्फ उनके ही कर्ज वितरण में देरी होगी।

उपायुक्त उद्योग मनोज चौरसिया का कहना है कि युवाओं को उद्यमी बनाने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। अब तक बैंकों को करीब 2000 प्रोजेक्ट भेजे गए हैं, जिसमें से 904 प्रोजेक्ट को कर्ज मंजूर हुआ। 482 आवेदकों को अब तक कर्ज मिला है। शेष आवेदकों को कर्ज दिलाने की प्रक्रिया चल रही है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com