बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पिछले तीन दिनों से यूपी की राजधानी लखनऊ में थे। वहां पर उन्होंने बीजेपी के विधायकों, मंत्रियों से लेकर बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद किया। इसका असर बीजेपी पर दिखने लगा है। लेकिन सबसे बड़ी हलचल तो विरोधी दलों के खेमे में मची है। अमित शाह के लखनऊ आने के साथ ही समाजवादी पार्टी और बीएसपी के विकेट गिरने लगे थे। अमित शाह को अगर राजनीति का चाणक्य कहा जाता है तो ऐसे ही नहीं कहा जाता है। जिस समस्या से योगी, दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्या परेशान थे। उस समस्या को अमित शाह ने आने के साथ खत्म कर दिया
अमित शाह ने खत्म की योगी की समस्या
दरअसल बीजेपी के सामने ये समस्या थी कि योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद और दिनेश शर्मा को विधान परिषद में कैसे पहुंचाया जाए। सीट खाली हो तो उस पर चुनाव लड़ा जा सकता है। लेकिन कोई सीट खाली नहीं थी. अमित शाह ने लखनऊ आने के साथ ही इस समस्या का समाधान कर दिया। सपा के बुक्कल नवाब समेत दो विधान परिषद सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ जिस तरह से सपा और बसपा में भगदड़ मची है वो संकेत दे रहा है कि अमित शाह का लखनऊ दौरा सफल रहा।
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अखिलेश को लगेंगे और झटके
अमित शाह ने लखनऊ में सबसे बड़ा झटका तो समाजवादी पार्टी को दिया है। विधानसभा चुनाव में हार का दर्द अभी तक अखिलेश यादव को हो रहा है। इसके बाद भी वो अपने संगठन और पार्टी पर ध्यान देने के बजाय बीजेपी पर हमला कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि बुक्कल नवाब जैसे बड़े नेता ने सपा को लताड़ते हुए इस्तीफा दिया है। बता दें कि बुक्कल नवाब ने ही राम मंदिर का समर्थन किया था। सपा के नेता द्वारा इस तरह के बयान से बीजेपी को चुनाव में फायदा हुआ था। अब खबरें ये हैं कि सपा के कुछ विधायक भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। ये अमित शाह की रणनीति का ही कमाल है कि यूपी में विपक्ष पूरी तरह से साफ होने की कगार पर है।
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राज्यसभा में राह आसान
कहानी यहीं पर खत्म नहीं हो रही है। सपा और बसपा के विधायकों में भगदड़ तो मची ही है। लखनऊ दौरे से अमित शाह ने विरोधी दलों को वोट बैंक पर भी नजरें टिका दी हैं। अमित शाह ने बूथ स्तर के कार्यकर्ता सोनू यादव के घर खाना खाया। इस से संकेत गया कि कार्यकर्ताओं की जितनी इज्जत बीजेपी में है उतनी किसी पार्टी में नहीं है। यादवों को सपा का समर्थक माना जाता है। लेकिन अब अमित शाह ने यादव वोटबैंक को सपा से छीनने की रणनीति तैयार कर ली है। आने वाले दिनों में यूपी से राज्यसभा के चुनाव भी होंगे। उसके बाद राज्यसभा में भी बीजेपी की सदस्य संख्या बढ़ जाएगी। यानि विरोधी जहां सोचना बंद करते हैं वहां से अमित शाह सोचना शुरू करते हैं।