बरेली : कश्मीर आतंक की आग में जल रहा है. इसके पीछे जिम्मेदार केवल पाकिस्तानी आतंकी ही नहीं हैं बल्कि वो स्थानीय कश्मीरी भी हैं
जो सेना पर पत्थरबाजी करके आतंकियों की रक्षा करते हैं. अभी हाल ही में अमरनाथ श्रद्धालुओं पर आतंकी हमला हुआ था, जिससे देश गम में डूब गया था. लेकिन आज आयी इस खबर को देखकर लग रहा है कि पूरे देश में ही हिन्दू श्रद्धालुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती जा रही है.
कांवड़ियों पर कट्टरपंथियों का भयानक हमला
खबर है कि कश्मीर की ही तर्ज पर बरेली में भी पत्थरबाजी शुरू हो गयी है. कावड़ यात्रा के दौरान बरेली जिले के अलीगंज थाने के अंतर्गत आने वाले खेलगाम गाँव में कट्टरपंथियों की भीड़ ने कांवड़ियों पर हमला कर दिया और पत्थर फेंके. बताया जा रहा है कि ये एक मुस्लिम बहुल इलाका है. कांवड़िये अपनी कांवड़ यात्रा के दौरान इस गाँव से होकर गुजरे तो कट्टरपंथियों की भीड़ ने इन कांवड़ियों पर हमला कर दिया.
समाचार एजेंसी पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक़ कांवड़िये अपनी कांवड़ यात्रा पूरी कर वापस अपने घर लौट रहे थे कि तभी स्थानीय कट्टरपंथियों ने उन्हें चेतावनी दी कि ये मुस्लिम इलाका है, इसलिए वो दूसरे रस्ते से जाएँ, लेकिन कांवड़ियों ने भारत को धर्म निरपेक्ष देश बताते हुए डोसा रास्ता लेने से इंकार कर दिया. जिसके बाद कट्टरपंथियों ने तुरंत अपने साथियों को वहां बुला लिया और देखते ही देखते कट्टरपंथियों की भारी भीड़ ने कांवड़ियों को घेर लिया और हमला कर दिया.
आईटीबीपी के जवानों व् पुलिसवालों को भी नहीं बक्शा
बताया जा रहा है कि कट्टरपंथी भीड़ कत्लेआम पर उतारू थी, हमला इतना भयानक था कि 24 कांवड़िये और 6 आईटीबीपी के जवान व् कुछ पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हो गए हैं. हिंसा की इस घटना पर एसएसपी ने कहा है कि जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा. इस घटना के चलते एक पुलिस ऑफिसर को नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया गया है. इलाके में शांति बनाये रखने की कोशिश की जा रही है.
बता दें कि 21 जुलाई को भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया है. जिसके बाद कांवड़ियों का अपनी कावड़ यात्रा पूरी कर वापस घर लौटने का सिलसिला अभी जारी है. खबर है कि इससे पहले जलेसर-आगरा मार्ग पर टेढ़ी बगिया चौराहे के पास भी कुछ युवकों ने कांवड़ियों पर हमला बोल दिया था, जिसमे दो कांवड़िये घायल हो गए थे.
मीडिया के मुँह में जमा दही
जुनैद मामले में झूठी खबर फैलाकर छाती पीटने वाले मीडिया व् फर्जी सेकुलरों ने इस घटना पर रहस्य्मयी चुप्पी साध ली है. देश में हालात क्या हो चुके हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए पुलिस को सख्त आदेश दिए थे, इसके बावजूद कट्टरपंथियों पर हमले कम नहीं हुए, क्योंकि उन्हें मालूम है कि यदि वो हमले करेंगे तो देश का मीडिया उस खबर को दबा देगा और कोई ख़ास कार्रवाई नहीं होगी लेकिन यदि हमले में वो खुद घायल हो गए तो वही मीडिया पूरे मामले का ध्रुवीकरण करते हुए बीजेपी सरकार पर कीचड उछालने में व्यस्त हो जाएगा. राजनीतिक पार्टियां भी वोटबैंक राजनीति करने लगेंगी, जिससे पुलिस व् प्रशासन पर तुरंत कार्रवाई करने का दबाव बनेगा.