संघर्षों की बुनियाद पर कामयाबियों की बुलंद इमारत कैसे तैयार होती है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी मिसाल हैं. उनका हर कदम कामयाबियों को चूमता है. उनका हर निशाना अचूक होता है. उनकी सियासी सूझबूझ का किला अभेद्य है. और आज हिंदुस्तान की राजनीति में मोदी का कद इतना बड़ा और शख्सियत इतनी ताकतवर हो चुकी है कि वो अपराजेय बन गए हैं.
आजादी के 70 साल पूरा होने से पहले दिल्ली में सत्ता के हर केंद्र पर बीजेपी का परचम लहरा रहा है. शनिवार को शाम होते-होते उप राष्ट्रपति भी बीजेपी से निकला एक नेता हो गया. शनिवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उप राष्ट्रपति के लिए सबसे पहले वोट डालने पहुंचे. संख्या बल का अनुमान तो सबको पहले से था. बस जीत पर मुहर लगनी थी. वो भी लग गई.
सत्ता के चारों शीर्ष पद बीजेपी के नाम
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उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. संयोग देखिए कि बीजेपी राज्यसभा में पहली बार सबसे बड़ी पार्टी बनी. और इसके बाद खबर आई कि बीजेपी से निकला कोई नेता दूसरी बार उप राष्ट्रपति बन गया. बीजेपी की अगुवाई में सरकार तो पहले भी बन चुकी है, लेकिन सब कुछ बीजेपी का होगा, ऐसा पहली बार हुआ है.
बहुमत वाली सरकार के प्रधानमंत्री बीजेपी के. पहली बार लोकसभा स्पीकर बीजेपी की बनीं. और पहली बार राष्ट्रपति भी बीजेपी से निकला शख्स बना. और वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति बनने से रायसीना हिल्स के सभी अहम पदों पर बीजेपी से निकले चेहरे चमकने लगे. अगर सत्ता की राजनीति की हर सड़क आज बीजेपी की तरफ जाती है तो इस बदलाव के शिखर पुरुष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
आज आलम ये है कि जो मोदी के नाम से चिढ़ते थे, उन्हें मोदी में ही भविष्य दिखता है. जिन नीतीश कुमार ने महज मोदी की वजह से बीजेपी से नेता तोड़ा था आज वे खुलेआम कह रहे हैं कि 2019 में मोदी को चुनौती देने की क्षमता किसी में नहीं. ऐसा सिर्फ बिहार में ही नहीं हुआ. बल्कि कई राज्यों में बीजेपी आंकड़ों के खेल में पिछड़ गई लेकिन मोदी और उनके दाहिने हाथ अमित शाह की जुगलबंदी ने बिगड़ी बाजी संवार दी.
लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नंबर-1
2014 में बीजेपी की ऐसी पहली सरकार मोदी ने बना डाली जिसे पूर्ण बहुमत मिला. आज लोकसभा में बीजेपी के 281 सांसद हैं. इस जीत के सिलसिले को मोदी ने राज्यसभा में अपनी बढ़ती चौहद्दी तक पहुंचाया है. पहली बार राज्यसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है. आज राज्यसभा में बीजेपी के 58 सांसद हैं, जबकि एनडीए के सांसदों की संख्या 88 है. दूसरी तरफ कांग्रेस 57 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है. ये स्थिति आने वाले दिनों में और बदलेगी, जब गुजरात से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी राज्यसभा में आ जाएंगे. मोदी के जीत के किले को अभेद्य बनाने वाले सैनिक तो अमित शाह ही हैं.
हार को जीत में बदल बने बाजीगर
इसी साल गोवा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो 40 सीटों पर 18 सीटें जीतकर कांग्रेस नंबर 1 पार्टी थी लेकिन मोदी की चाल से कांग्रेस बहुमत से चार कदम दूर ही रह गई. वही बीजेपी ने सीटें कम जीतीं तो चुनाव नतीजे आए नहीं कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आधी रात को ही परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को गोवा दौड़ा दिया. खुद पर्रिकर भी गोवा पहुंच गए. गडकरी ने एमडीपी और गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तीन-तीन विधायकों का समर्थन जोड़ा. फिर भी बहुमत से बीजेपी दो कदम कम थी. मोदी से राय मशविरा लेकर अमित शाह ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह को दो निर्दलीय विधायकों को पटाने के लिए लगाया. दोनों निर्दलीय विधायकों का नाता कुश्ती से था, सो वो भी बीजेपी की लाइन पर आ गए. कांग्रेस तिलमिलाने के सिवा कुछ नहीं कर पाई.
गोवा की तरह ही मणिपुर में भी चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी 21 सीटों के साथ नंबर 2 पर अटक गई. जबकि कांग्रेस 28 सीटों के साथ नंबर 1 पार्टी थी. लेकिन चाल ऐसी चली कि बीजेपी मणिपुर में पहली बार सरकार बनाने में सफल हो गई.देश-दुनिया में मोदी के नाम का बजता डंका बीजेपी के कमल को जबरदस्त तरीके से खिलाता गया. मोदी का जादू लोगों के सिर ऐसे चढ़ा कि 2014 में बीजेपी ने हरियाणा और झारखंड में अपने दम पर सरकार बनाई तो महाराष्ट्र में पहली बार बीजेपी की अगुवाई में सरकार बनी. जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ बीजेपी ने पहली बार सत्ता का स्वाद चखा. बिहार में 2015 में बीजेपी हार गई लेकिन उस हार को मोदी ने दो साल में जीत में बदल दिया. 2016 में असम की जीत से मोदी का सिक्का और चमका. इसी साल उत्तर प्रदेश में शानदार जीत हासिल की तो गोवा और मणिपुर में हारी बाजी जीत ली.
आज आलम ये है कि 13 राज्यों में बीजेपी खुद सरकार चला रही है या सीनियर पार्टनर है. वहीं बीजेपी 4 राज्यों में सत्ता में जूनियर पार्टनर है. आलम ये है कि 29 राज्यों में 18 राज्यों पर बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए की हुकूमत है. मोदी के सामने जीतने के लिए अभी तो उनका गृह प्रदेश ही एक चुनौती है. लेकिन चुनौतियों का कोई ऐसा पत्थर नहीं जो मोदी के परिश्रम से पानी ना हो जाए.