सिखों के प्रसिद्ध तीर्थ हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के साथ ही हिंदुओं की आस्था के केंद्र लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। अब आगामी छह माह तक आस्था के दोनों केंद्रों में पूजा अर्चना व अरदास होगी।
गत दिवस गोविंदघाट से चली गुरुग्रंथ साहिब की पालकी गत रात घांघरिया में विश्राम के लिए रुकी थी। अभी पूरे रास्ते भर में बर्फ की मोटी परत जमी है। इसे देख श्रद्धालु आनंदित हो रहे हैं।
यहां से आज सुबह सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था पंच प्यारों के नेतृत्व में पालकी लेकर हेमकुंड के लिए रवाना हुआ। हेमकुंड पहुंचने पर करीब चार हजार श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सुबह करीब नौ बजे हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के कपाट खोल दिए गए।
इस गुरुद्वारे के निकट ही हिंदुओं की आस्था का केंद्र लोकपाल लक्ष्मण मंदिर है। इसके कपाट भी सुबह खोल दिए गए। हेमकुंड पहुंचे श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान किया। गुरुद्वारा के कपाट खोलकर सतखंड में रखे गुरु ग्रंथ साहिब को परंपरानुसार सुखासन पर रखा गया।
इसी के साथ सुखमणि पाठ अरदास करके सिखों के गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह ने पूर्व जन्म में इस स्थान पर तपस्या की थी।
गुरुद्वारे में पहली अरदास के बाद सुखमनी साहब का पाठ किया गया। गुरुद्वारे के ठीक सामने दोनों निशान साहब के चोले संगतों ने बदले। साथ ही शबद कीर्तन, संतो का इतिहास आदि सुनाने का कार्यक्रम भी शुरू हो गया