क्या किसी के मरने पर ठहाके लगते हैं, सवाल अटपटा जरूर है, पर काका हाथरसी तो यही चाहते थे। ऐसा हुआ भी। ठहाकों के बादशाह काका हाथरसी की शवयात्रा ऊंटगाड़ी पर निकली और अंतिम संस्कार के समय श्मशान स्थल पर कवि सम्मेलन हुआ
, जिसमें देश के प्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर मौजूद थे। संचालन ब्रजभाषा के प्रसिद्ध कवि सुरेश चतुर्वेदी ने किया। इसे संयोग ही कहेंगे कि काका हाथरस का आज (18 सितंबर को) जन्म व अवसान दिवस एक ही है। इसके चलते काका हाथरस स्मारक समिति ने स्मारक पर कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें पूर्व डीएम रविकांत भटनागर, एसडीएम सदर अरुण कुमार सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य एससी शर्मा, साहित्यकार विधासागर विकल आदि मौजूद थे। कार्यक्रम संयोजक साहित्यकार गोपाल चतुर्वेदी थे।