नगर निगम के परिसीमन के बाद गांव और शहर दोनों से बाहर हो गए जीतपुर नेगी के लोगों ने राज्य स्थापना दिवस के मौके पर बुद्ध पार्क में धरना देकर आक्रोश जताया। कहा कि राज्य गठन के 20 साल बाद सरकार विकास के बड़े-बड़े वादे कर रही। जबकि कभी ग्राम पंचायत का हिस्सा बनकर रहने वाले जीतपुर नेगी के लोगों से सारी सुविधाएं छीन ली। उन्हें वोट तक का अधिकार नहीं दिया गया।
रामपुर रोड से सटे जीतपुर नेगी में बस्ती क्षेत्र की तरफ छह सौ परिवार रहते हैं। जिनकी आबादी करीब तीन हजार है। दो साल पहले तक यह क्षेत्र बेड़ापोखरा ग्राम पंचायत का हिस्सा था। पंचायत के तहत आने वाली सभी योजनाओं का लाभ इन्हें मिलता था। मगर 2018 में परिसीमन कर कालाढूंगी विधानसभा के गांवों को नगर निगम में शामिल कर 20 नए वार्ड बना दिए गए। जीतपुर नेगी को वार्ड 56 में शामिल किया गया।
मगर इस बस्ती क्षेत्र को छोड़ दिया गया। उस दौरान वन विभाग की जमीन का हवाला देकर इसे निगम में शामिल नहीं किया गया। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास जमीन संबंधी पुराने कागज भी हैं। अब समस्या यह है कि लोगों का ना तो पंचायत और ना निगम में वोटर माना गया। जन्म प्रमाणपत्र व अन्य दस्तावेजों के लिए लोगों को सबसे ज्यादा भटकना पड़ता है। धरने पर प्रदीप नेगी, सुमित कुमार, रितेश, नरेंद्र आर्य, रोहित गोस्वामी आदि मौजूद रहे।