महाभारत (Mahabharat) की कई कथा है जो आप सभी ने पढ़ी या सुनी होंगी। हालाँकि आज हम एक कथा बताने जा रहे हैं जो आपने शायद ही कहीं सुनी या पढ़ी होगी। जी दरअसल महाभारत की कथा में भीम को अतिबलशाली बताया गया है। उनके अंदर कई हाथियों का बल था, जिसके कारण शत्रु उनसे भयभीत रहते थे। कहा जाता है भीमसेन मलयुद्ध में पारंगत थे और उनका अस्त्र गदा था। इसी के साथ यह भी बताया जाता है कि भीम (Bheem) वायुदेव के अंश थे। ऐसे में भीम को अपने बल पर अभिमान था। जी हाँ और उनके इस घमंड को हनुमान जी (Lord Hanuman) ने चूर-चूर कर दिया था। जी दरअसल महाभारत के कुछ पात्रों संग जुडी हनुमान जी की कुछ कथाएं हैं। अब आज हम आपको हनुमान जी और भीम की कथा के बारे में बताते हैं।
पौराणिक कथा- एक समय की बात है। द्रौपदी के कहने पर भीम कमल पुष्प लेने के लिए गंधमादन पर्वत पर स्थित कमल सरोवर के पास पहुंच गए। लेकिन उनसे पहले हनुमान जी रास्ते में लेटे हुए थे और उनकी पूंछ रास्ते को घेरे हुई थी। भीम उसे लांघकर जाना नहीं चाहते थे। भीम ने हनुमान जी से कहा कि वे अपनी पूंछ को रास्ते से हटा लें ताकि वे आगे जा सके। हनुमान जी मुस्कुराते हुए भीम की बातों को अनसुना कर दिया। भीम ने फिर हनुमान जी को पूंछ हटाने के लिए कहा।भीम को यह बात ज्ञात नहीं थी कि वो वानर श्रेष्ठ हनुमान जी हैं। हनुमान जी ने कहा कि तुम तो बलशाली हो, खुद ही मेरी पूंछ हटा दो और आगे चले जाओ।
भीम इस बात से चिढ़ गए और हनुमान जी की पूंछ हटाने लगे। पहली बार में पूंछ टस से मस न हुई। फिर भीम ने पूरी ताकत लगाकर पूंछ को हटानी चाही, लेकिन वो पूंछ को हिला भी न सके। हनुमान जी ने भीम के बलशाली होने के घमंड को क्षण भर में ही तोड़ दिया। जब भी थक हार गए, तब उनको लगा कि यह कोई आम वानर नहीं हो सकते हैं। भीम ने हनुमान जी से क्षमा मांगी और अपने वास्तविक स्वरुप में दर्शन देने को कहा। तब हनुमान जी मुस्कुराए और फिर अपने विराट स्वरूप का दर्शन भीम को कराया। फिर भीम हनुमान जी का आशीर्वाद लेकर वापस लौट आए। इस प्रकार से भीमसेन का घमंड टूट गया।