कर्ज में डूबा स्पेन राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। वहां रविवार को चार वर्षों में तीसरी बार आम चुनाव हुए, जिसमें प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज को जीत मिली है। लेकिन इसके बाद भी वह बहुमत हासिल करने से चूक गए हैं। इस चुनाव में सांचेज की पार्टी को 29 फीसद मत मिले।
लेकिन सरकार में बने रहने के लिए लेफ्ट विंग या फिर क्षेत्रिय पार्टियों के समर्थन की दरकार होगी। इस चुनाव में पॉपुलर पार्टी को महज 66 सीटें हासिल हो सकी हैं, जबकि पिछली बार उनकी 137 सीटें थीं। खास बात यह है कि इस चुनाव में धुर दक्षिणपंथी पार्टी वॉक्स को भी 24 सीटें हासिल हुई हैं।
आपको बता दें कि देश में पिछले 40 वर्षों से राजनीतिक अस्थिरता के साथ कैटेलोनिया की स्वायत्तता वहां एक प्रमुख समस्या रही है। कैटेलोनिया स्पेन की राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करती है या उस पर पूरा असर डालती है। यह यूरोपीय यूनियन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।
कर्ज से उबारने और स्थिर सरकार देने की चुनौती
स्पेन की माली हालत काफी खराब है। वह भारी कर्ज का दबाव है। करीब 125 लाख करोड़ यूरो का कर्ज है। ऐसे में देश में लगातार हो रहे चुनाव उसकी आर्थिक हालत को और तंग कर सकते हैं। स्पेन में नई सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती देश को कर्ज से उबारने के साथ देश में एक स्थिर सरकार को देना होगा।
रखॉय सत्ता से बेदखल, सांचेज को मिली पीएम की कुर्सी
दरअसल, एक जून, 2018 को स्पेन के तत्तकालीन प्रधानमंत्री मारियान रखॉय सत्ता से बेदखल हो गए। विपक्ष ने रखॉय सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। अविश्वास प्रस्ताव में पराजित होने के बाद रखॉय को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा। इसके बाद सोशलिस्ट पार्टी के नेता पेड्रो सांचेज के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया। पूर्ववर्ती मारिआनो रखॉय की अल्पसंख्यक कंजर्वेटिव पॉपुलर पार्टी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव में पराजित कर सत्ता में आए।
बजट वोट पाने में नाकाम रहे सांचेज, आम चुनाव कराने का फैसला
प्रधानमंत्री सांचेज सदन में बजट वोट पाने में नाकाम रहे। इस घटना ने स्पेन में एक बार फिर राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गए। विपक्ष ने भी सांचेज सरकार को घेरना शुरू कर दिया। सरकार पर बहुमत पर सवाल उठाए जाने लगे। सरकार ने सदन में बहुमत साबित करने के बजाए देश में आम चुनाव कराने का फैसला लिया। उनके इस फैसले से स्पेन की राजनीति में चला आ रहा गतिरोध समाप्त हो गया। समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सोशलिस्ट पार्टी के सांचेज ने कहा कि वे संसद भंग करने और देश में चुनाव कराने का फैसला लिया है।
कैटेलोनिया और स्पेन की राजनीति
कैटेलोनिया स्पेन के सबसे संपन्न इलाकों में से एक है। स्पेन में गृह युद्ध से पहले इस इलाके को स्वायत्तता मिली थी। 1939 से 1975 के बीच जनरल फ्रांसिस्को फ्रैंको के नेतृत्व में कैटेलोनिया को जो स्वायत्तता मिली थी वह टिकाऊ नहीं रही। उसकी स्वायत्तता खत्म हो गई। हालांकि, फ्रैंको की मौत के बाद कैटेलोनिया में एक बार फिर राष्ट्रवाद को हवा मिली और आखिर में उत्तर पूर्वी इलाकों को फिर से स्वायत्तता देनी पड़ी। यह व्यवस्था 1978 के संविधान के तहत किया गया।
2006 में एक अधिनियम के तहत कैटेलोनिया को और राजनीतिक रूप से मजबूत बनाया गया। इसके बाद कैटेलोनिया का वित्तीय दबदबा बढ़ा।
लेकिन उसकी यह राजनीतिक स्वायत्तता बहुत दिनों तक कायम नहीं रही। स्पेन की संवैधानिक अदालत ने 2010 में उससे यह राजनीतिक स्वायत्तता वापस ले लिया। इसके बाद से वहां के स्थानीय प्रशासन में नाराजगी है।
2014 में कैटेलोनिया में आजादी के लिए अनाधिकारिक रूप से मतदान का आयोजन किया गया। 20 लाख मतदाताओं ने इसमें हिस्सा लिया। इसमें 80 फीसद लोगों ने स्पेन से आजाद होने के पक्ष में मतदान किया।
हालांकि, स्पेन की शीर्ष अदालत ने इस जनमत संग्रह को खारिज कर दिया। कैटेलोनिया को स्पेन के संविधान में एक स्वायत्त इलाके का दर्जा मिला हुआ है। हालांकि कैटलन संसद से स्वतंत्रता की घोषणा के साथ ही स्पेन ने स्वायत्तता को खत्म कर दिया है।
कैटेलोनिया स्पेन की अर्थव्यवस्था की रीढ़
कैटेलोनिया हर साल मैड्रिड को 12 अरब यूरो टैक्स के रूप में देता है। स्पेन का पूरा निर्यात कैटेलोनिया पर ही टिका है। करीब 25 फीसद निर्यात कैटेलोनिया से ही होता है। उसकी संपन्नता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सूबे में अकेले कैटेलानिया की हिस्सेदारी 20 फीसद से अधिक की है।