भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की के शोधकर्ताओं ने स्तन और गर्भाशय (ओवेरियन) कैंसर का पता लगाने के लिए एक नया तरीका खोजा है. दुनिया में कैंसर से होने वाली कुल मौतों में से 20 फीसदी के लिए स्तन और गर्भाशय कैंसर जिम्मेदार है.

‘एफएएसईबी बायोएडवांस’ जर्नल में प्रकाशित शोध में स्तन और गर्भाशय के कैंसर का पता लगाने के लिए शरीर के तरल पदार्थ के रूप में पूरी लार के उपयोग का विवरण है. यह रक्त के नमूनों के इस्तेमाल की पारंपरिक विधि के विपरीत है.
आईआईटी रुड़की में जैव प्रौद्योगिकी विभाग से किरण अंबतिपुदी के नेतृत्व में शोध टीम ने लार में मौजूद कुछ प्रोटीनों की पहचान की है, जो स्तन और गर्भाशय कैंसर मेटास्टेसिस के संभावित जैवचिह्न सूचक के रूप में कार्य करते हैं.
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