राजनीतिक रणनीतिकार और जनता दल (यूनाइटेड) के प्रशांत किशोर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को लेकर जारी चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। इंटरव्यू में किशोर ने कहा, ‘यदि कांग्रेस अध्यक्ष एनआरसी पर कोई बयान दे दें तो इससे स्पष्टता आ जाएगी। धरना, प्रदर्शन में भाग लेना- यह सब जायज और वैध है (लेकिन) इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से एक भी आधिकारिक बयान क्यों नहीं आया है, यह मेरी समझ से परे है।’
किशोर का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष या कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) को कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों को यह कहना चाहिए कि वे अपने राज्यों में एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने कहा, ’10 से अधिक मुख्यमंत्रियों जिसमें कांग्रेस भी शामिल है उन्होंने कहा है कि वे अपने राज्यों में एनआरसी लागू करने की अनुमति नहीं देंगे। अन्य क्षेत्रीय दलों जैसे नीतीश कुमार, नवीन बाबू, ममता दीदी या जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री पार्टियों के प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे हैं। कांग्रेस के मामले में मुख्यमंत्री निर्णयकर्ता नहीं हैं और सीडब्ल्यूसी निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।’
जदयू नेता ने कहा, ‘मेरा सवाल और चिंता का विषय यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष आधिकारिक रूप से यह क्यों नहीं कह रही हैं कि कांग्रेस शासित राज्यों में एनआरसी लागू करने की अनुमति नहीं होगी?’ किशोर ने कांग्रेस पर हमला करते हुए पूछा कि सरकार में रहते हुए उसने इस अधिनियम में संशोधन क्यों नहीं किया और ऐसा करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, ‘सीएए 2003 में बना था। 2004 से 2013 में कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। यदि यह अधिनियम इतना ही असंवैधानिक था जो एक तथ्य है, कांग्रेस के पास इसमें संशोधन करने का अवसर था।’