कर्नाटक में करीब 10 हजार सरकारी कर्मचारियों पर डिमोशन की तलवार लटक गई है. जोकि हाल ही में प्रमोशन में आरक्षण के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण है. इस बात से ही कर्मचारी बेहद परेशान हैं.
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक कर्नाटक सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत करीब हजार ‘दलित’ कर्मचारियों का डिमोशन हो जाएगा. यानी जो प्रमोट होकर हैड क्लर्क बन गया होगा, वह वापस क्लर्क हो जाएगा
कर्मचारी एसोसिएशन के अध्यक्ष बीपी मंजे गोडा का कहना है कि 7 से 10 हजार अधिकारी और कर्मचारी हैं, जोकि वापस अपनी रैंक पर जाएंगे. सरकार के सभी 65 विभागों में 18 फीसदी पद एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. यदि 5.15 लाख सरकारी कर्मचारियों में से 1-2 फीसदी को ही यह फायदा मिला है तो आंकड़ा 10 हजार ही पहुंचता है.
राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की योजना बना रही है. ऐसा न करने की स्थिति में सरकार को साल 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है. कानून मंत्री टीबी जयचंद्र का कहना है कि हम कानूनी सलाह ले रहे हैं कि इस मामले में क्या हो सकता है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रमोशन में आरक्षण को रद्द कर दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण देने से पहले राज्य निर्धारित कर ले कि क्या अपर्याप्त प्रतिनिधित्व, पिछड़ेपन व समग्र दक्षता के मानदंड पूरे कर लिए हैं.
यह प्रावधान ‘कैच अप’ नियम के उलट एससी-एसटी के लोगों को प्रमोशन में वरिष्ठता देते थे. कोर्ट ने पहले एक फैसले में ‘कैच अप’ नियम का मतलब स्पष्ट किया था. इसके तहत अगर सामान्य श्रेणी के एक वरिष्ठ उम्मीदवार का एससी-एसटी उम्मीदवारों के बाद प्रमोशन होता है तो उसे आरक्षित पदों के तहत उससे पहले पदोन्नत हुए कनिष्ठ अधिकारियों पर वरिष्ठता मिलेगी.