मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अस्थायी विवाह और बहुविवाह की प्रथा को एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर चुनौती दी गई है। हैदराबाद के वकील की तरफ से दायर याचिका में निकाह हलाला की प्रथा का भी विरोध किया गया है। निकाह हलाला में तलाकशुदा महिला को अपने पहले पति के साथ दुबारा शादी करने के लिए किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह करने के बाद उसे तलाक देना पड़ता है। इसके बाद ही वह महिला अपने पहले पति से विवाह के योग्य हो पाती है। इसके साथ ही याचिका में निकाह मुताह और निकाह मिस्यार का भी विरोध किया गया है।
ये दोनों अस्थायी विवाह हैं जिसमें शादी की अवधि व अन्य शर्तें पहले से तय की जाती हैं। याचिकाकर्ता ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत इन सभी प्रकार के विवाहों की प्रथा को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन होता है। याचिकाकर्ता के वकील आरडी उपाध्याय ने कहा कि इन प्रथाओं पर रोक वक्त की मांग है।