अपने ही आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में फिल्म दिखाए जाने से पहले राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रुख बदलने के बाद माना जा रहा था कि कोर्ट भी अपना फैसला पलट सकता है। केंद्र सरकार ने सोमवार को कोर्ट से कहा था कि अदालत को अपने आदेश में बदलाव करना चाहिए। केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि इस मुद्दे पर इंटर मिनिस्ट्रियल कमिटी का गठन किया गया है ताकि वह नई गाइडलाइंस तैयार कर सके।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार के हलफनामे को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने संबंधी अंतिम फैसला केंद्र द्वारा गठित कमिटी लेगी। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि कमिटी को सभी आयामों पर व्यापक रूप से विचार करना चाहिए। इस फैसले के बाद फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाना या न बजाना सिनेमाघरों के मालिकों की मर्जी पर निर्भर होगा। कोर्ट ने कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने से दिव्यांगों को छूट मिलती रहेगी।
क्या था कोर्ट का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2016 में दिए अपने आदेश में कहा था कि सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा और लोग खड़े होंगे। कोर्ट ने कहा था कि इस दौरान स्क्रीन पर राष्ट्र-ध्वज दिखाया जाएगा। केंद्र ने भी इस फैसले का समर्थन किया था। तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तब सुप्रीम कोर्ट से कड़ा आदेश देने की पुरजोर वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि इस बात पर बहस शुरू होनी चाहिए कि स्कूल के पाठ्यक्रम में राष्ट्रगान गाने की अनिवार्यता को शामिल क्यों नहीं किया जा सकता है।
केंद्र ने क्यों बदला स्टैंड?
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