कोरोना संक्रमण के काल में भी योगी आदित्यनाथ सरकार विकास के काम को लेकर मिशन मोड में रहती है। प्रदेश में बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का काम शुरू होने के बीच में ही अब गंगा एक्सप्रेस-वे के काम को लेकर युद्धस्तर पर तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसको लेकर बेहद गंभीर हैं और उनका निर्देश है कि इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण का काम मिशन मोड पर शुरू करें।
प्रदेश में रोड कनेक्टिविटी को लेकर बेहद गंभीर योगी आदित्यनाथ सरकार ने बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर काफी काम पूरा कर लिया है। इसके साथ ही अब गंगा एकसप्रेस-वे पर काम शुरू किया जा रहा है। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ का निर्देश है कि इस प्रोजेक्ट का काम भी मिशन मोड पर करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपीडा सहित सभी संबंधित विभागों को मिशन मोड में काम करने का निर्देश दिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस एक्सप्रेस-वे के लिए अगले छह महीने में 90 फीसदी तक जमीन अधिग्रहित कर ली जाए। मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि किसी भी दिशा में बजट रिवाइज न हो। इसकी अनुमति नहीं मिलेगी। जून 2021 के मध्य में इसका शिलान्यास कर बरसात के बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाए।
गंगा एक्सप्रेस-वे की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब भी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के बाद यह छह लेन गंगा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश को नई पहचान देगा। इसे 8 लेन तक बढ़ाया जा सकता है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस-वे से जुड़ रहे सभी 12 जनपदों में औद्योगिक क्लस्टर तैयार होंगे। उद्योगों के विकास और निवेश के लिए प्रदेश में बेहद अनुकूल माहौल है। एक्सप्रेस-वे निर्माण के साथ-साथ क्लस्टर के लिए भूमि की व्यवस्था भी की जाए। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शीघ्र ही प्रदेश को वाराणसी से प्रयागराज के बीच एक छह लेन एक्सप्रेस वे की सौगात देंगे। इनके निर्माण से प्रदेश में कनेक्टिविटी की सुविधा बेहतरीन हो जाएगी।
संभावित लागत करीब 36,410 करोड़ रुपये
गंगा एक्सप्रेस-वे के बारे में यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए एक-एक गांव का सर्वे कर विस्तृत कार्ययोजना बना ली गई है। यह एक्सप्रेस-वे मेरठ और प्रयागराज के बीच छह लेन और 594 किलोमीटर का होगा। वर्तमान में ग्राम बिजौली, जिला मेरठ के पास से शुरू होकर प्रयागराज में जुदापुरडांडो के पास एनएच 19 के बाईपास पर समाप्त होगा। यूपीडा के सीईओ ने बताया कि परियोजना की कुल संभावित लागत करीब 36,410 करोड़ रुपये आंकी गई है। जिसमें भूमि अधिग्रहण के लिए करीब 9,255 करोड़ रुपये अनुमानित है। 22,145 करोड़ सिविल निर्माण में खर्च होंगे। इस मार्ग में आने वाले सभी 12 जनपदों में ग्राम सभा के स्वामित्व की भूमि निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इस बारे में राजस्व विभाग की सहमति ले ली गई है। वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सभी विकल्पों पर ध्यान दिया जा रहा है। हमको विदेशी निवेश के प्रस्ताव भी प्राप्त हुए हैं। बैंकों की ओर से भी स्वत: प्रस्ताव मिल रहे हैं। इस बारे में शीघ्र ही निर्णय हो जाएगा। अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि गंगा एक्सप्रेसवे के लिए पश्चिमी उप्र के एक-एक गांव का सर्वे कर विस्तृत कार्ययोजना बना ली गई है। एक्सप्रेसवे के अलाइनमेंट में आने वाले सभी 12 जिलों में ग्राम सभा के स्वामित्व की भूमि निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए राजस्व विभाग की सहमति ले ली गई है। उन्होंने यह भी बताया कि वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सभी विकल्पों पर ध्यान दिया जा रहा है। बैंकों के अलावा विदेशी निवेश के प्रस्ताव भी प्राप्त हुए हैं। इस बारे में शीघ्र ही निर्णय हो जाएगा।
गंगा एक्सप्रेस-वे एक नजर में
– परियोजना की कुल संभावित लागत 36,410 करोड़ रुपये जिसमें भूमि अधिग्रहण के लिए करीब 9,255 करोड़ रुपये अनुमानित हैं। 22,145 करोड़ रुपये सिविल निर्माण के लिए अनुमानित हैं।
– 594 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे छह लेन का होगा, जिसे भविष्य में 8 लेन तक किया जा सकेगा।
– वर्तमान में ग्राम बिजौली, जिला मेरठ के पास से शुरू होकर प्रयागराज में जुदापुरडांडो के पास एनएच 19 के बाइपास पर समाप्त होगा।
– 12 जिले: मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ एवं प्रयागराज जनपदों से होकर गुजरेगा।
– एक्सप्रेसवे की डिजाइन स्पीड 120 किमी प्रति घंटा एवं यातायात के लिए स्पीड 100 किमी प्रति घंटा होगी।
– एक्सप्रेसवे पर 17 इंटरचेंज प्रस्तावित हैं, जो प्रमुख मार्गों एवं शहरों से जुड़ेंगे।
– 9 यात्री सुविधा केंद्र प्रस्तावित हैं, जो मुख्य मार्ग के दोनों तरफ से जुड़े होंगे।