मुंबई में एक नि:संतान दंपति ने सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने को लेकर बंबई हाई कोर्ट का रुख किया। मामले में अदालत ने महााष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। जानिए क्या है मामला…
मुंबई में एक नि:संतान दंपति ने सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने को लेकर बंबई हाई कोर्ट का रुख किया। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि मुंबई में अभी तक कोई भी जिला सरोगेसी बोर्ड का गठन नहीं हो पाया है। न ही मुंबई में कोई इन्फर्टिलिटी क्लिनिक है। इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है और सुनवाई की अगली तारीख 12 दिसंबर तय कर दी है।
न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला की अगुवाई वाली खंडपीठ में डाली याचिका के अनुसार, याचिककर्ताओं ने 2016 में शादी की थी। दोनों की आयु इस समय 40 के करीब है। महिला युवा अवस्था से ही मधुमेह और अन्य बीमारियों से पीड़ित है। वह गर्भधारण नहीं कर पायी जिसके बाद दंपति ने विभिन्न फर्टिलिटी क्लिनिक और विशेषज्ञों से सलाह ली, लेकिन गर्भधारण नहीं हुआ।
याचिका में कहा गया है कि इसके बाद दंपति ने सरोगेसी कराने का फैसला किया लेकिन उन्हें मालूम चला कि मुंबई में अभी तक सरोगेसी के लिए किसी भी क्लिनिक का पंजीकरण नहीं किया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि सरोगेसी और ‘असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नीक’ (एआरटी) से जुड़ा कानून होने के बावजूद मुंबई में किसी भी क्लिनिक का पंजीकरण नहीं किया गया है। बिना पंजीकरण के कोई भी क्लिनिक सरोगेसी की अर्जियों को आगे नहीं बढ़ा सकता।
दंपति ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं को एआरटी कराने से रोकना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में प्रदत्त मूल अधिकारों के खिलाफ होगा।’’ इस मामले में कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है और सुनवाई की अगली तारीख 12 दिसंबर तय की है।