आम चुनाव से ठीक पहले पीएम किसान योजना जैसी लोकलुभावन घोषणाएं करने के बाद सरकार अब अर्थव्यवस्था को सुधारों की कड़वी डोज दे सकती है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए सरकार सब्सिडी का बोझ हल्का करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत केंद्र ने अपना सब्सिडी खर्च घटाकर वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी के 1.3% के स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश किया था। इसी बजट में सरकार ने मध्यावधि राजकोषीय नीति और राजकोषीय रणनीति के वक्तव्य में सब्सिडी घटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
सरकार के राजस्व व्यय में एक बड़ा हिस्सा खाद्य सब्सिडी, खाद सब्सिडी और पेट्रोलियम सब्सिडी के रूप में खर्च होता है। चालू वित्त वर्ष में सरकार का सब्सिडी पर खर्च तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है। यही वजह है कि सरकार ने आम बजट 2019-20 में सब्सिडी व्यय के लिए 3,01,694 करोड रुपए का आवंटन किया है। यह राशि वित्त वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमानों के मुकाबले 13.3 प्रतिशत अधिक है।
बजट दस्तावेजों के मुताबिक जीडीपी के अनुपात में सब्सिडी व्यय 1.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सरकार का मानना है कि आने वाले वर्षों में सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के प्रयास फलदाई होंगे जिससे सब्सिडी का बोझ कम होगा। ऐसा होने पर वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 मई जीडीपी के अनुपात में सब्सिडी व्यय कम होकर 1.3 प्रतिशत के स्तर पर आ जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने आम बजट 2019-20 में सब्सिडी व्यय के लिए 3,01,694 करोड रुपए का आवंटन किया है जिसमें 1,84,220 लाख करोड़ रुपए खाद्य सब्सिडी के लिए, 79,996 लाख करोड़ रुपए खाद सब्सिडी के लिए और 37,478 लाख करोड़ रुपए पेट्रोलियम सब्सिडी के लिए आवंटित किए गए हैं।
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