सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को कोर्ट से राहत मिली है। अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय द्वारा ज्ञानवापी के वजूखाने में गंदगी करने और नेताओं की बयानबाजी को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है।
ज्ञानवापी के वजूखाने में गंदगी करने और नेताओं की बयानबाजी को लेकर अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र को एसीजेएम (प्रथम) उज्जवल उपाध्याय की अदालत ने खारिज कर दी। हरिशंकर पांडेय ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव व एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दिए गए बयान को हेट स्पीचिंग की श्रेणी में मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। आरोप लगाया था कि इन नेताओं ने अमर्यादित एवं गैर कानूनी कथनों पर बयान देकर हिंदू समाज के प्रति घृणा फैलाने का आपराधिक कृत्य किया है। अदालत ने बहस सुनने के पश्चात आदेश सुरक्षित करते हुए 14 फरवरी की तिथि मुकर्रर की थी।
यह है पूरा मामला
अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर आरोप लगाया था कि ज्ञानवापी परिसर में नमाजियों की ओर से वजूखाने में हाथ-पैर धोए जाते हैं और गंदगी फैलाई जाती है। जबकि वह स्थान हमारे आराध्य भगवान शिव का स्थान है। यह हिंदू समाज के लिए अपमानजनक है। इसके साथ ही सर्वे में मिले शिवलिंग को लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि ने ज्ञानवापी प्रकरण पर विवादित बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं पर कुठाराघात किया है।
इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग
हरिशंकर पांडेय ने इस मामले में ज्ञानवापी मस्जिद के अंजुमन इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, कमेटी के संयुक्त सचिव सैय्यद मोहम्मद यासीन और बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी।
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