पटियाला में जाति की दीवारें धीरे-धीरे टूटती जा रही हैं. अब एक ही श्मशान घाट का इस्तेमाल गांव का हर परिवार कर रहा है. पहले दलितों के लिए हर गांव में अलग श्मशान घाट हुआ करता था, लेकिन समय के साथ पंजाब बदल रहा है और पटियाला के 144 गांवों में जाति आधारित श्मशान घाटों की परंपरा अब खत्म हो गई है.