नई दिल्ली, शेयर बाजार में कई लोग निवेश करना चाहते हैं, लेकिन इस बाजार की टेक्निकल बातों और जोखिम के चलते यहां निवेश करने से कतराते हैं। यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि किससे पूछना है, तो हम आपको इस बारे में बिल्कुल आसान शब्दों में बताएंगे।
सबसे पहले तय करें रणनीति
किसी भी निवेश से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि आखिर आप निवेश करना क्यों चाहते हैं। अपने वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने के तरीके को जानना सबसे महत्वपूर्ण बातों में से एक है। ऐसा करने के लिए एक विशेषज्ञ होने की जरूरत नहीं है। आपको केवल कुछ मूल बातें जानने की जरूरत है। एक योजना बनाएं और दूसरा उसका पालन करने के लिए पर्याप्त अनुशासन बरतें।
क्यों करना चाहते हैं निवेश
अब आपको यह तय करना होगा कि आपके निवेश का लक्ष्य क्या है। क्या आप शादी के लिए निवेश कर रहे हैं, अपने बच्चे के कालेज फंड या सेवानिवृत्ति के लिए निवेश कर रहे हैं। उसके बाद तय करें कि आपको अपने लक्ष्य को कितने वर्षों में पूरा करना है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब आप निवेश करते हैं, तो आपके लिए सबसे जरूरी ये जानना होता है कि इसमें आपको प्रवेश कब करना है और निकलना कब है।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स खोलें
निवेश शुरू करने के लिए आपको डीमैट और ट्रेडिंग खातों की जरूरत होती है। इसकी शुरुआत आप इन तीन आसान स्टेप में कर सकते हैं। स्टेप 1: एक स्टॉक ब्रोकर चुनें जहां डीमैट और ट्रेडिंग खाता खुलवाया जा सकें। स्टेप 2: केवाईसी के नियमों को पूरा करें। चरण 3: केवाईसी की सत्यापन प्रक्रिया पूरा होते ही बाजार से कमाई करने के लिए आप रजिस्टर्ड हैं।
अब निवेश के लिए बजट निर्धारित करें
बजट तय करना निवेश का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा, विश्लेषण करें कि क्या वार्षिक एकमुश्त निवेश करना आपके लिए अनुकूल होगा या मासिक आधार पर अधिक आकर्षक होगा।
निफ्टी में निवेश: जब आप यह सब पता लगा लेते हैं, तो आप निफ्टी जैसे सूचकांकों के लिए तैयार हैं। ऐसा करने के कई तरीके हैं।
स्पॉट ट्रेडिंग और डेरिवेटिव ट्रेडिंग
निफ्टी में निवेश करने का सबसे सरल तरीका किसी कंपनी के स्टॉक यानी शेयर को खरीदना। जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो आप उनकी कीमत बढ़ने पर पूंजीगत लाभ का फायदा उठा सकते हैं। वहीं डेरिवेटिव एक तरह वित्तीय अनुबंध हैं। ये स्टॉक, कमोडिटीज, मुद्राएं आदि में हो सकते हैं। इस पद्धति के साथ, पार्टियां भविष्य की तारीख में अनुबंध का निपटान करने के लिए सहमत होती हैं और अंतर्निहित परिसंपत्ति के भविष्य के मूल्य पर दांव लगाकर लाभ कमाती हैं।