शमी के वृक्ष की पूजा करने से शनि देव की कृपा आसानी से पाई जा सकती है. शमी की पूजा करने से आपके जीवन से कई तरह की परेशानियां दूर हो सकती हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि शमी के पौधे में शनि का वास होता है. आइए आपको बताते हैं कि शनि को क्यों इतना प्रिय है शमी.

शमी पौधे के गुण शनि के मिलते-जुलते हैं. ये पौधा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहता है. शमी पौधे का स्वभाव कठोर और तीखा होता है. लेकिन इस पौधे से संपन्नता और विजय की प्राप्ति होती है. ये सारे गुण शनि के अंदर पाए जाते हैं. इसलिए ये पौधा शनि का पौधा माना जाता है.
ऐसा माना जाता है कि शमी के पौधे में पाप खत्म करने की शक्ति होती है. शमी के कांटों के प्रयोग से तमाम नकारात्मक शक्तियां और तंत्र-मंत्र की बाधा नष्ट होती है. कहीं भी जाने से पहले शमी वृक्ष के दर्शन करने से यात्रा सफल और शुभ होती है. इस पौधे से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं.
धर्म ग्रंथों के मुताबिक लंका विजय से पहले श्री राम जी ने भी शमी वृक्ष की पूजा की थी. पांडवों ने भी अज्ञातवास के समय अपने अस्त्र शस्त्र इसी पौधे में छिपाए थे. युद्ध पर जाने से पहले पांडवों ने शमी वृक्ष की पूजा की थी और विजय का आशीर्वाद लिया था. कथा के अनुसार कवि कालिदास ने शमी वृक्ष के नीचे तप करके ही ज्ञान प्राप्त किया था. इसलिए शनि के प्रकोप से बचने के लिए महा चमत्कारी शमी की पूजा की जाती है.
शमी का पौधा शनिवार को गमले में या कच्ची जमीन में लगा सकते हैं. इसे घर के मुख्य द्वार के पास लगा सकते हैं. घर के अंदर शमी का पौधा नहीं लगाना चाहिए. इसे विजयादशमी के दिन लगाना सबसे उत्तम होता है. शमी का पौधा घर के ईशान कोण यानि पूर्वोत्तर में लगाना फलदायी माना गया है.
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो शमी का पौधा जितना घना होता जाएगा, घर में उतनी ही समृद्धि आती जाएगी. शनि की दशा, ढैया या साढ़ेसाती जैसी तमाम पीड़ाओं से राहत दिलाता है.
अगर कुंडली में शनि की खराब दशा के कारण दुर्घटना या सेहत की समस्या सता रही है तो शमी की लकड़ी को काले धागे में लपेट कर धारण कर सकते हैं. शनि की शांति के लिए शमी की लकड़ी पर काले तिल से हवन करना भी लाभकारी होता है.
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