शनि कर्म के देवता हैं और आपके किए गए कार्य का फल जरूर देते हैं। शनिदेव को मनाने के लिए किए जाने वाले सनातनी उपाय को करके आप कुंडली के उन दोषों को दूर कर सकते हैं जिनके कारण आपको कष्ट उठाने पड़ते हैं।
शनिदेव की कृपा पाने के लिए अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी सेवा करें। यदि आप अपने माता-पिता से दूर रहते हैं तो उन्हें फोन से या फिर मन ही मन प्रतिदिन प्रणाम करें। माता-पिता की फोटो अपने पर्स में रखते हों तो उनके श्री चरणों की तस्वीर भी रखें।
यदि आप पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है आप खुद को तमाम परेशानियों से घिरा पा रहे हैं तो इस मंत्र का जप करें। शनिदेव के प्रकोप को शांत करने के लिए यह मंत्र काफी प्रभावी हैं। शनिदेव को समर्पित इस मंत्र को श्रद्धा के साथ जपने से निश्चित रूप से आपको लाभ होगा।
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।
मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।
शनि से जुड़े दोष दूर करने या फिर उनकी कृपा पाने के लिए शिव की उपासना एक सिद्ध उपाय है। नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय जाता रहता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस उपाय से शनि द्वारा मिलने वाला नकारात्मक परिणाम समाप्त हो जाता है।
भगवान शिव की तरह उनके अंशावतार बजरंग बली की साधना से भी शनि से जुड़ी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। कुंडली में शनि से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। संभव हो तो सुंदरकांड का पाठ भी करें। हनुमान जी को अपनी क्षमता के अनुसार कुछ मीठा प्रसाद चढ़ाएं।
शमी का वृक्ष घर में लगाएं और नियमित रूप से उसकी पूजा करें। इससे न सिर्फ आपके घर का वास्तुदोष दूर होगा बल्कि शनिदेव की कृपा भी बनी रहेगी। शनिवार के दिन पीपल को जल देने और तेल का दीपक जलाने से भी शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।