एक दिन की छुट्टी में दिल्ली के आसपास घूमने-फिरने वाली जगहों की तलाश कर रहे हैं तो मथुरा, वृंदावन इसके लिए एक अच्छा ऑप्शन है। जहां धार्मिक से लेकर ऐतिहासिक दोनों तरह के सैर-सपाटे का मज़ा लिया जा सकता है। वैसे तो वृंदावन घूमने के लिए मार्च का महीना सबसे बेस्ट होता है क्योंकि उस दौरान चारों तरफ होली की रौनक और हुडदंग देखने को मिलती है लेकिन शॉर्ट और सोलो ट्रिप के लिए भी वृदांवन में काफी कुछ है।
खैर मुझे भी आखिरकार मौका मिल ही गया इस पावन नगरी को घूमने का। ताज एक्सप्रेस वे से होते हुए 182 किमी का सफर तय करने के बाद फाइनली मैं वृंदावन पहुंची। सफर इतना अच्छा और कम्फर्टेबल था कि वृंदावन कब पहुंच गए इसका पता ही नहीं चला। दो दिन के अपने ट्रिप में मुझे पूरा वृंदावन कवर करना था तो रेस्ट करने का आइडिया साइड किया वैसे सच कहूं तो इसकी जरूरत भी नहीं थी।
वृंदावन में रुकने वाली जगहों की कोई कमी नहीं। होमस्टे का कल्चर बेशक यहां अभी डेवलप नहीं हुआ है लेकिन होटल से लेकर आश्रमों तक की ढेरों तादाद यहां मौजूद है जिसे आप अपने बजट के अनुसार चुन सकते हैं। और टूरिस्टों की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए होटल्स ही नहीं आश्रम तक सुख सुविधाओं से लैस है। लेकिन यहां का Nidhivan SarovarPorticoएक ऐसी जगह है जहां बजट में रूकने के साथ ही वृंदावन के लजीज़ जायकों को भी एन्जॉय किया जा सकता है। वृंदावन में घूमने वाली जगहों में शामिल प्रेम मंदिर और ISKCON टैंपल यहां से काफी नज़दीक है। ज़िम और स्पॉ की सुविधा भी यहां अवेलेबल है और शाम को दिनभर की थकान दूर कर शमां बांधने का काम करता है यहां होने वाला लाइव म्यूज़िक।
तो रूकने वाली जगहों की बातें तो हो गई अब बात करेंगे यहां घूमने-फिरने वाली जगहों के बारे में। वृंदावन को भगवान श्री कृष्ण की बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। हर थोड़ी दूर पर यहां भगवान कृष्ण और राधा रानी का मंदिर है। इसके अलावा प्रेम मंदिर, निधिवन, रंगनाथ जी का मंदिर, कृष्ण बलराम मंदिर, पागलबाबा का मंदिर, अक्षय पात्र भी देखने वाली काफी अच्छी जगहें हैं।
वृंदावन आकर जो हंसे, उसी का घर बसे….तीन बार ताली बजाकर जोर से बोलिए हा हा हा…… मेरे गाइड ने मुझसे ये लाइन दोहराने को बोली और बढ़ चली हमारी गाड़ी कोसी घाट की ओर। सुना है शाम के समय केसी घाट पर होने वाली आरती का नज़ारा ही अलग होता है। दिए की रोशनी, फूलों की बारिश के बीच हर कोई बस बस इसी में मग्न नज़र आता है। यहां पर भगवान कृष्ण ने केसी नामक राक्षस का वध किया था। आरती की पूरी तैयारी यहां के स्थानीय लोग ही करते हैं। ऐसा कहते हैं कि इस घाट पर डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है। आरती पूरी होने और प्रसाद मिलने के बाद हमने प्रेम मंदिर का रूख किया क्योंकि रात के समय प्रेम मंदिर और ज्यादा खूबसूरत नज़र आता है।
प्रेम मंदिर
बहुत ही बड़ा और खूबसूरत मंदिर। जहां आकर आप कृष्ण लीलाओं का अद्भुत नज़ारा देख सकते हैं। रात के समय यहां फाउंटेन शो भी होता है जिसके लिए मैं थोड़ा सा लेट हो गई थी। तो बस जल्दी-जल्दी मंदिर की खूबसूरती को आंखों और कैमरे में कैद कर लिया।
प्रेम मंदिर के बाद बारी आई ISKCON टैंपल घूमने की। वैसे तो ये टैंपल आपको ज्यादातर जगहों पर देखने को मिल जाएंगे लेकिन वृंदावन आई थी तो यहां आना तो बनता था। खास बात जो लगी वो यह कि यहां आम जगहों की तुलना में बहुत शांति थी। अंदर कुछ लोग हरे रामा-हरे कृष्णा पर झूमते-गाते नज़र आ रहे थे लेकिन बाहर का माहौल काफी शांत था।
इसके बाद होटल लौटकर लाइव म्यूज़िक के साथ डिनर किया और अगले दिन सुबह-सुबह यहां के मशहूर मंदिरों के दर्शन का प्लान बनाया।
राधा रमण मंदिर
इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा होती है। गाइड ने बताया कि यहां भगवान का यह विग्रह खुद प्रकट हुआ है। जिसके बारे में प्रचलित कहानी भी बताई। कहते हैं इस मंदिर के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्रॉप्ति हो जाती है।
बांके बिहारी मंदिर
वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण के सबसे मशहूर मंदिरों में से एक है ये। जहां बांके बिहारी मुरली बजाते हुए खड़े हैं। वृंदावन में ठाकुर जी के 7 मंदिरों में से एक यह मंदिर राधावल्लभ मंदिर के नज़दीक स्थित है। जिसके दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है।
श्री रंगजी मंदिर
वृंदावन का सबसे बड़ा श्री रंगजी मंदिर द्रविड स्टाइल में बना हुआ है मतलब मंदिर की बनावट में आप नार्थ और साउथ का खूबसूरत मेल देख सकते हैं।
यहां इतने मंदिर हैं जिन्हें घूमने के लिए दो दिन का समय काफी नहीं और मेरे पास सिर्फ दो ही दिन थे तो बस वृंदावन से अगली बार फिर से आने का वादा कर निकल लिए दिल्ली की ओर।