13 नवम्बर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले वर्ष (2020 ) मई में रूस में होने जा रहे विजय दिवस समारोह के लिए आमंत्रित किया हैं| मोदी और पुतिन के बीच यहां मुलाकात हुई जिसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक मुद्दों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी शामिल होने के लिए यहां आये हुए हैं। मोदी ने इस शिखर सम्मेलन के इतर पुतिन के साथ यह मुलाकात की। यह शिखर सम्मेलन आतंकवाद निरोधक सहयोग के लिए तंत्र बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा और दुनिया की पांच प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करेगा।
ब्रिक्स विश्व की पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। पीएम मोदी ने इस बैठक के वक्त कहा कि ‘‘लगातार बैठकों ने हमारे संबंधों को मजबूत किया है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमारे द्विपक्षीय संबंध ओर मजबूत हो रहे हैं। आपने मुझे मई में विजय दिवस समारोह के लिए रूस की यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया है। मैं उसका बहुत उत्सुकता से इंतजार कर रहा हूं क्योंकि मुझे एक बार फिर आपसे मिलने का मौका मिलेगा।’’ पुतिन ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रूसी राष्ट्रपति ने बैठक में कहा हैं की, ‘‘हम प्रमुख द्विपक्षीय परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहे हैं और हमारा तकनीकी सहयोग मजबूत हो रहा है और सांस्कृतिक आदान प्रदान का विस्तार हो रहा है।’’
मास्को में हर वर्ष नौ मई को विजय दिवस परेड आयोजित होती है जिसमें रूस अपनी सैन्य ताकत प्रदर्शित करता रहा है। यह मई 1945 में नाजी जर्मनी पर मित्र देशों की जीत की याद दिलाता है। दोनों नेताओं की यह बैठक रूस के सुदूर पूर्व व्लादिवोस्तोक शहर में पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) के मौके पर व्यापक बातचीत के दो महीने बाद हुई जिसमें दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तौर-तरीकों पर चर्चा की थी| मोदी ने पांच सितंबर को कहा था कि भारत और रूस की दोस्ती राजधानी शहरों में सरकारी बातचीत तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका दौरान लोगों और करीबी व्यापारिक संबंधों तक भी फैला हुआ है। भारत ने रूस के संसाधन संपन्न सुदूर पूर्व के लिए ‘‘अभूतपूर्व रूप से’’ एक अरब अमेरिकी डालर के रिण सुविधा की घोषणा की थी। भारत और रूस ने सितंबर में रक्षा, वायु और समुद्री संपर्क, ऊर्जा, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम और व्यापार जैसे क्षेत्रों में 15 समझौतों या सहमतिपत्रों पर हस्ताक्षर किए थे।