राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है। एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए ओडिशा की आदिवासी नेत्री और पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में मुर्मू के नाम को फाइनल करने के बाद यह चर्चा शुरू हुई कि छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके भी प्रबल दावेदार थीं। उइके को उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिए बयान के बाद प्रदेश में राजनीति तेज होती नजर आ रही है।
नेता प्रतिपक्ष सफाई देते हुए कहा- किसी की नहीं की गई उपेक्षा
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मीडिया से चर्चा में कहा कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने में किसी की उपेक्षा नहीं की गई। राष्ट्रीय नेतृत्व ने आदिवासी वर्ग से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने का फैसला किया। इसके बाद स्वाभाविक रूप से आदिवासी वर्ग के राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों और सामाजिक क्षेत्र में काम करने वालों के नाम पर विचार किया जाता है। भाजपा संसदीय बोर्ड ने मुर्मू के नाम को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया। इसे किसी की उपेक्षा से जोड़कर देखना ठीक नहीं है। बता दें कि दिल्ली से लौटे मुख्यमंत्री बघेल ने कहा था कि उइकेकांग्रेस की पृष्ठभूमि से हैं इसलिए उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनाया गया।
अर्जुन सिंह सरकार में थीं मंत्री
दरसअल, उइके वर्ष 1985 से 1990 तक विधानसभा क्षेत्र दमुआ से विधायक रही हैं। मध्य प्रदेश की अर्जुन सिंह सरकार में वे वर्ष 1988 से 1989 तक महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री भी रही हैं। हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। भाजपा में आने के बाद उइके वर्ष 2006 में राज्यसभा सदस्य बनीं। उसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य रहीं। वर्तमान में वह छत्तीसगढ़ की राज्यपाल हैं।