राजस्थान में अब बड़े उद्योग लगाने पर विभिन्न तरह की सरकारी मंजूरियों और निरीक्षणों से छूट मिल सकती है। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों सहित सभी उद्योगों को विभिन्न योजनाओं में 700 करोड़ रुपये का पैकेज भी मिल सकता है। राजस्थान सरकार की ओर से गठित टास्क फोर्स ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में ये सिफारिशें की हैं। लॉकडाउन के बाद ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने जो पैकेज घोषित किया था, उसका अधिकाधिक फायदा उठाने के बारे में सुझाव देने के लिए राजस्थान सरकार ने दो जून को अतिरिक्त मुख्य सचिव, उद्योग सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया था। इसने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
रिपोर्ट में सबसे बड़ी बात यह कही गई है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बड़े उद्योगों की जरूरत होगी। उन्हें आकर्षित करने के लिए आरंभिक वर्षो में राज्य के विभिन्न कानूनों के तहत प्राप्त की जाने वाली स्वीकृतियों और निरीक्षणों से मुक्त रखा जाना चाहिए।
गौरतलब है कि राजस्थान में अभी छोटे उद्योगों को तीन वर्ष तक सरकार से किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है और इस नियम का बड़ा फायदा राजस्थान को मिला है। अब इसी तरह का प्रावधान बड़े उद्योगों के लिए भी किया जा सकता है। ऐसा होता है तो पर्यावरण, भूमि उपयोग परिवर्तन और श्रम संबंधी कई कानूनों से बड़े उद्योगों को छूट मिल सकती है।
दरअसल, राजस्थान सरकार भी अन्य राज्यों की तरह चीन से बाहर जा रही कंपनियों को अपने यहां आकर्षित करने की जुगत में लगी है। इसी उद्देश्य से दो दिन पहले राजस्थान के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और अन्य अधिकारियों ने यूरोपियन यूनियन के देशों के दूतावासों और उद्यमियों से बातचीत की थी। इसमें भी मुख्य सचिव ने राजस्थान में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के प्रयासों के बारे में बताया था और मौजूदा मुद्दों के तेजी से निपटान का भी आश्वासन भी दिया था।
टास्क फोर्स ने की हैं ये सिफारिशें
सरकार की ओर से गठित टास्क फोर्स ने लॉकडाउन से प्रभावित उद्योगों को 700 करोड़ रुपये का पैकेज देने की सिफारिश भी की है। यह पैकेज ऋण किस्तों में ब्याज छूट व समयावधि बढ़ोतरी, उद्योगों के विद्युत शुल्क की माफी, राज्य जीएसटी में छूट आदि के रूप में दिया जाने का प्रस्ताव है। टास्क फोर्स ने पर्यटन व्यवसाय पर विशेष जोर दिया है और सरकार की निवेश प्रोत्साहन योजना में अन्य उद्योगों को दी जा रही रियायतें पर्यटन क्षेत्र को भी देने की सिफारिश की है। इसके अलावा लॉकडाउन अवधि में पर्यटन स्थलों के पंजीकृत गाइड्स, नेचर गाइड्स, ऊंट व जीप सफारी चालकों, ऊंट गाड़ी मालिकों तथा स्थानीय लोक कलाकारों को तीन माह तक 1500 रुपये प्रतिमाह उनके बैंक खाते में डलवाने का सुझाव दिया है।