प्रत्येक वर्ष होली महोत्सव के पांच दिन बाद रंग पंचमी पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर देवी-देवता धरती लोक पर होली खेलने के लिए आते हैं और साधकों की सभी मनोकामना सुनते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होली पर्व की शुरुआत हो जाती है। वहीं रंगों के इस महा उत्सव के पांचवें दिन रंग पंचमी पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पंचांग में बताया गया है कि इस वर्ष रंग पंचमी महोत्सव को आज यानि 12 मार्च 2023, रविवार के दिन मनाया जा रहा है। शास्त्रों में बताया गया है कि आज के दिन देवी-देवताओं की उपासना करने से और उनको रंग अर्पित करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है और उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं।
देवताओं को अर्पित करें यह रंग
शास्त्रों में बताया गया है कि रंग पंचमी के दिन आसमान में रंग उड़ाने से और पूजा-पाठ करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही इसमें देवी-देवताओं के लिए कुछ विशेष रंग भी बताए गए हैं जिनका प्रयोग करने से साधक को सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- शास्त्रों के अनुसार, रंग पंचमी के दिन भगवान श्री विष्णु, श्री कृष्ण और प्रभु श्री राम के चरणों में पीले रंग का गुलाल अर्पित करें और मन-ही-मन अपनी मनोकामना दोहराएं। इस उपाय का पालन करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी के दिन हनुमाना जी, माता लक्ष्मी और कालभैरव महाराज को लाल रंग का गुलाल अर्पित करने से साधक को लाभ मिलता है। मान्यता है कि ऐसा करने से कई प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
- इसके साथ आज के दिन माता बगलामुखी को पीले रंग का अबीर और प्रत्यक्ष देवता सूर्यदेव को लाल रंग अर्पित करें। मान्यता यह भी है कि आज के दिन शनि देव को नीला रंग अर्पित करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
रंग पंचमी महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी के दिन देवी-देवता होली खेलने के लिए धरतीलोक पर आते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामना सुनते हैं। आज के दिन पूजा-पाठ का प्रभाव भी बढ़ जाता है, इसलिए शास्त्रों में रंग पंचमी के दिन किए गए पूजा-पाठ के महत्व को विस्तार से बताया गया है। साथ ही रंग पंचमी के दिन देवी-देवताओं के साथ होली खेलने से सभी दुःख दर्द दूर हो जाती हैं।