केन्द्र सरकार के जारी नए आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में 29 में से 23 राज्य और 8 में से 6 केन्द्र शाषित राज्यों के पास जरूरत से अधिक बिजली होगी. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में देश में बिजली की कुल जरूरत से 8.8 फीसदी अधिक सप्लाई होगी. वहीं बिजली खपत के चरम पर भी देश में 6.8 फीसदी अधिक सप्लाई बनी रहेगी.
ऐसे में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से सवाल उठता है कि जब पूरे देश में बिजली सप्लाई जरूरत से अधिक रहने के आसार हैं तो फिर उत्तर प्रदेश में क्यों निरंतर बिजली सप्लाई नहीं की जा पा रही है? गौरतलब है कि राज्य में सत्ता संभालने के बाद से मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बिजली सप्लाई की व्यवस्था को सुधारने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं. इसके अलावा राज्य सरकार ने अगले दो साल के अंदर उत्तर प्रदेश को 24 घंटे बिजली सप्लाई के मैप पर लाने की है.
लेकिन योगी सरकार बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने की कोशिश और केन्द्र सरकार से मदद की कवायदके बावजूद उसके अपने बिजली घरों की यूनिटें ठप होने से प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है. लिहाजा, जहां सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी देश में बिजली सरप्लस का दावा कर रही है, उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती लगातार सच्चाई बनी हुई है.
बिजली संकट का सबसे ज्यादा खामियाजा राज्य के ग्रामीण इलाकों को भुगतना पड़ रहा है. शहरी इलाकों में बिजली सप्लाई बहाल रखने के लिए एनर्जी एक्सचेंज और दूसरे राज्यों से करीब 2000 मेगावाट बिजली खरीदकर हालात संभालने की कोशिश की जा रही है. चल रही है. गौरतलब है कि प्रदेश में ललितपुर बिजली घर की 660 मेगावाट की एक यूनिट, अनपरा की 600 मेगावाट, लैंको की 600 मेगावाट और बारा की 660 मेगावाट की एक-एक यूनिट ठप पड़ चुकी हैं. इन बड़ी यूनिटों के ठप हो जाने से प्रदेश को करीब 2500 मेगावाट बिजली की कमी का झटका लगने जा रहा है. इसके चलते ग्रामीण इलाकों में दो से चार घंटे तक अघोषित बिजली कटौती की जा रही है वहीं शहरी इलाकों में भी अघोषित कटौती देखने को मिल रही है.