हर माँ-बाप का सपना होता है कि वह अपने बेटे-बेटी को शादी के मंडप में बैठे देखें। वे चाहते हैं कि उनके बच्चों की शादी इतनी धूमधाम से हो कि यादगार बन जाए। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में नटबाजी समाज वर्षों पुरानी परम्पराओं को आज भी बखूबी निभा रहा है। नटबाजी समाज में सिर्फ जिंदा ही नहीं बल्कि मर चुके बच्चों की शादी भी बेहद धूमधाम से करने की अनोखी परम्परा है।
मृत लोगों की भी की जाती है शादी:
यहाँ यदि लड़का या लड़की बचपन में ही मर जाते है तो उनकी शादी बालिग होने पर घर वाले करते है। यहां मृत दूल्हे के लिए मृत कन्या की तलाश की जाती है। इस दौरान बैंड-बाजे के साथ बारात मृत कन्या पक्ष के दरवाजे पर आती है और शादी की सभी रस्में भी पूरे रीति-रिवाज के साथ संपन्न कराई जाती हैं।
निभाई जाती है रस्में:
यही नहीं कन्या पक्ष अपने सामर्थ्य के अनुसार वर पक्ष को दान-दहेज भी देता है। मंडप में दूल्हा-दुल्हन की जगह गुड्डा-गुडिय़ा रखे जाते हैं। शादी के बाद विदाई भी की गई। बाल विवाह का विरोधी यह गांव बच्चों के मरने के बाद उनके बालिग होने पर ही उनका विवाह करता है। यहां मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी मृत संतान भी अविवाहित नहीं रहती है।