लड्डू के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की संडीला तहसील को एक नई पहचान मिली है. लखनऊ से करीब 30 किलोमीटर दूर संडीला के इंडस्ट्रीयल एरिया के फेज-दो की शस्त्र शस्त्र निर्माण फैक्ट्री में ब्रिटेन की जानी-मानी हथियार बनाने वाली कंपनी वेल्बे ऐंड स्कॉट ने रिवॉल्वर का निर्माण शुरू कर दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी “मेक इन इंडिया” अभियान और यूपी में योगी सरकार से “डिफेंस कॉरिडोर” योजना के तहत मिली सहूलियतों के चलते पिछले वर्ष सितंबर में हैंडगन बनाने की विश्व की दिग्गज कंपनी वेल्बे ऐंड स्कॉट ने कानपुर-लखनऊ की आर्म्स कंपनी “स्याल मैन्युफैक्चरर्स प्राइवेट लिमिटेड” के साथ हाथ मिलाया था.
वेब्ले भारत में फायर आर्म्स बनाने वाली पहली विदेशी कंपनी है. करार के मुताबिक, 49 फीसद शेयर वेब्ले के और 51 फीसद हिस्सेदारी स्याल ग्रुप के पास है. रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी वेब्ले की है और इसी के अनुरूप संडीला की शस्त्र निर्माण फैक्ट्री में रिवॉल्वर का निर्माण किया गया है. यानी संडीला की फैक्ट्री में वेब्ले रिवॉल्वर की असेम्बलिंग नहीं बल्कि एक-एक पुर्जा बनाया गया है. शुक्रवार यानी 22 जनवरी को वेब्ले स्कॉट रिवॉल्वर को आधिकारिक रूप से लॉन्च किया गया.
ब्रिटेन की विश्व प्रसिद्ध रिवॉल्वर का भारतीय संस्करण कंपनी ने बहुत कम समय में बाजार में ला दिया है. अंग्रेजों की रिवॉल्वर को सौ फीसद खालिस भारतीय बनाने के लिए “स्याल मैन्युफैक्चरर्स प्राइवेट लिमिटेड” के प्रवर्तक रिक्की स्याल और मनिंदर स्याल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया है. रिक्की स्याल बताते हैं, “ हथियार निर्माण के क्षेत्र में “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर अभियान” का यह पहला उत्पाद है. वेब्ले बनाने वाली संडीला में देश की पहली इकाई है.” केवल रिसर्च ऐंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर वेब्ले की है. इसे बनाने वाली पूरी टीम भारतीय है, जिसे एक साल का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है.
वेब्ले स्कॉट की एक-एक रिवॉल्वर कैपिटल गन हाउस के कानपुर और लखनऊ स्थित गन हाउस में भेजकर इसकी लॉन्चिंग की गई है. संडीला की फैक्टरी में लगभग 120 रिवॉल्वर तैयार हो गई हैं. वेब्ले स्कॉट रिवॉल्वर की कैलिबर .32, मारक क्षमता 60 मीटर, कुल लंबाई 120.5 मिमी, बैरल की लंबाई 76.2 मिमी और भार महज 670 ग्राम है. 670 ग्राम वाली यह रिवॉल्वर अब तक की सबसे हल्की रिवॉल्वर है. इसे महिलाएं भी आसानी से चला सकेंगी. पॉकेट मॉडल वाली इस रिवॉल्वर को पानी में भी चलाया जा सकेगा.
वेब्ले स्कॉट रिवॉल्वर से इस श्रेणी की हाल में लॉन्च की गई लघु शस्त्र निर्माणी (एसएएफ) की “प्रहार” और उससे पहले आई फील्डगन की “निशंक” को टक्कर मिलेगी. .32 बोर वाली वेब्ले स्कॉट रिवॉल्वर की कीमत 1.38 लाख रुपये है. 28 फीसद जीएसटी अलग से देना होगा. दिलचस्प बात यह है कि वेब्ले की पुरानी रिवॉल्वर की कीमत 3.5 लाख रुपए है, लॉन्च होने के पहले दिन ही 500 रिवॉल्वर बुक हो गई. बुकिंग के 45 से 60 दिन बाद डिलीवरी मिलेगी. यह रिवॉल्वर फिलहाल सीधे डीलरों के लिए उपलब्ध नहीं है. मास्टर डीलरों के जरिये ही यह डीलर तक पहुंचेगी.
वेब्ले एक साल में रिवाल्वर के केवल 2,400 पीस बनाएगी. अगले चार महीने में वेब्ले की पिस्टल, एयर गन सहित दूसरे मॉडल भी संडीला की शस्त्र निर्माण फैक्ट्री में बनने लगेंगे. वर्ष 1887 से 1963 तक वेब्ले स्कॉट का इस्तेमाल की अनुमति केवल ब्रिटेन की शाही सेना, सरक्षा और कॉमनवेल्थ सदस्यों को थी. आज से 55 वर्ष पूर्व स्याल मैन्युफैक्चरर्स ग्रुप का उदय कानपुर ओर लखनऊ में हुआ था. वर्तमान में इस ग्रुप की चौदह आर्म्स फर्म्स है, हथियारों के शौकीन स्याल ग्रुप के नाम से भलीभांति परिचित हैं. दुनिया का सबसे पुराना और नाम ब्रांड वेब्ले के भारतीय बाजार में आने से हथियार बाजार को सबसे उन्नत ओर शानदार विकल्प मिला है. फिलहाल यूपी में बनने वाली रिवॉल्वर को पाने के लिए देश भर से लोग तैयार बैठे हैं.