लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रद्द होने के बाद पहली बार बयान देते हुए कहा कि आस्था को लेकर समाज को अपना फैसला खुद लेना चाहिए। सीएम ने कहा, “कांवड़ संघों की भावना का सम्मान किया जाना चाहिए।”

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ऐलान किया कि इस साल उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि वह उत्तर प्रदेश सरकार को “कोविड-19 में 100 प्रतिशत शारीरिक कांवड यात्रा आयोजित करने” की अनुमति नहीं दे सकता है। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया है कि धार्मिक भावनाएं जीवन के अधिकार के अधीन हैं।
योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रतीकात्मक कांवड यात्रा प्रस्ताव के जवाब में अदालत ने कहा था, “जीवन का अधिकार सर्वोपरि है।” जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गावा की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, “भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और उनके जीवन का अधिकार सर्वोपरि है। अन्य सभी भावनाएं, भले ही धार्मिक हों, इस सबसे बुनियादी मौलिक अधिकार के अधीन हैं।”
अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने रविवार को घोषणा की, ”उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर कांवड़ संघों ने कांवड़ यात्रा रद्द कर दी है।”
बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने भी कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर की संभावना और इतनी बड़ी सभाओं से उत्पन्न खतरों के बारे में आशंकाओं का हवाला देते हुए कांवड़ यात्रा रद्द कर दी है।
यात्रा 25 जुलाई को शुरू होने वाली थी। यह अगस्त के पहले सप्ताह तक चलती है, जिसके दौरान हजारों शिव भक्त, जिन्हें कांवड़िया कहा जाता है, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली जैसे आस-पास के राज्यों से उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा से पानी लाने के लिए पैदल यात्रा करते हैं।
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