राजस्थान में गहलोत-पायलट की खींचतान के बीच कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा फायर ब्रांड नेता के तौर पर उभरी है। राजस्थान का राजनीति में दिव्या मदेरणा के बयान खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। उन बयानों पर यूजर्स कमेंट कर रहे हैं। दिव्या मदेरणा रोजाना ट्वीट कर चर्चा में बनीं हुई है। दिव्या मदेरणा ने ट्वीट कर लिखा- मैं कांग्रेस के प्रति निष्ठा को बुलंदी के साथ आवाज देती रहूंगीं। क्योंकि वह एआईसीसी की एडवाइजरी में नहीं आती है। इस पर यूजर्स की मिली जुली प्रतिक्रिया रही है। एक यूजर्स ने लिखा- राजस्थान में कांग्रेस के जनक परसराम मदेरणा ने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। हमेशा पार्टी और आलाकमान को सर्वोपरी माना है। जबकि एक यूजर्स ने लिखा-लीला जी की जगह जिला प्रमुख का टिकट जाखड़ परिवार के सदस्य को मिल जाता कांग्रेस से तब भी ऐसी ही निष्ठा रहती की क्या। दिव्या जी हमने सुना था निर्दलीय भी तैयारी कर ली थी जिला प्रमुख बनने की।
इधर से नहीं मिला तो उधर से मिल जाए
एक यूजर्स ने एक अखबार की कटिंग शेयर कर दिव्या मदेरणा की कांग्रेस आलाकमान की निष्ठा पर सवाल उठाए है। लिखा- राजनीति में जो होता है वह दिखता नहीं है, जो होता है वह दिखता नहीं है। राजस्थान की सियासत में ये पंक्तियां बिलकुल फिट बैठती है। यही कारण है कि कांग्रेस की एक फायरब्रांड नेता की जुबान पर इन दिनों आलाकमान का नाम चढ़ा हुआ है।लेकिन विपक्षियों से संपर्क भी। चर्चा है कि उनके आलाकमान आने वाले दिनों में बदल भी सकते हैं। शीर्ष नेता से मुलाकात भी हो चुकी है। नजर पड़ोस की संसदीय सीट पर है। एक यूजर्स ने लिखा- आपकी निष्ठा आलाकमान मतलब गांधी परिवार के प्रति नहीं बल्कि सचिन पायलट के प्रति है। ताकि आपको मंत्री बनाया जाए। उधर कुछ नहीं मिला, हो सकता है इस उम्मीद में कुछ इधर मिल जाए।
सीएम गहलोत से रही है पुरानी अदावत
उल्लेखनीय है कि जोधपुर के ओसिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक दिव्या मदरेणा इन सीएम गहलोत पर इसारों में जमकर निशाना साध रही है। दिव्या मदेरणा गहलोत को बार-बार 1998 याद दिला रही है। आपको बता दें 1998 में एक लाइन के प्रस्ताव की वजह से दिव्या मदेरणा के दादा परसराम मदेरणार राजस्थान के सीएम नहीं बन पाए थे। दिव्या मदेरणा को यह खीझ आज भी सता रही है। इसलिए बार-बार पार्टी आलाकमान का नाम लेकर इशारों में सीएम गहलोत को निशाने पर लेने से नहीं चूक रही है।