अगर किसी का सर कलम कर दिया जाये वो वह तुरंत मर जाता है पर 70 साल पहले एक मुर्गे की कहानी मशहूर हुई थी जो सिर कटने के बाद भी तकरीबन 18 महीने तक जीवित रहा था. उसके नाम से एक खास दिन भी होता है.
घटना करीब 70 साल पहले 1945 में घटी बताई जाती है. अमेरिका के कोलराडो के पास फ्रूटा नाम की जगह पर एक मुर्गी पालक ने चिकन मीट बेचने के लिए कई मुर्गों के सिर काटे और तब वो उन्हें बेचने के लिए इकट्ठा करने लगा तो उस ढेर में से मुर्गा उठ कर भागने लगा. ये देख कर वो शख्स हैरान रह गया.बहरहाल उसने मुर्गे को एक सेब रखने के बॉक्स में बंद कर दिया और शेष मीट को बेच दिया। अगले दिन उसने बाक्स खोला तो पाया कि देखा कि मुर्गा अब भी जिंदा है. इस मुर्गे का नाम माइक बताया गया था. अगले दिन जब वो शख्स मीट बेचने बाजार गया तो उस सिर कटे माइक को अपने साथ ले गया. वहां उसने उसे चमत्कार की तरह दिखा कर कुछ शर्तें जीतने का प्रयास करने लगे। देखते ही देखते बिना सिर के जिंदा मुर्गे की खबर सारे इलाके में फैल गई. लोग उसे देखने आने लगे, यहां तक कि कुछ स्थानीय समाचार पत्रों ने भी उस पर खबर बनाई और हैडलेस माइक देखते देखते मशहूर हो गया .
बताते तो ये भी हैं कि इस चमत्कारी मुर्गे के बारे में जानने के बाद वैज्ञानिकों ने उसके जीवित रहने के रहस्य को जानने के लिए एक रिसर्च भी की और उसे यूटा विश्र्विद्यालय में आमंत्रित किया. शोधकर्ताओं का अनुमान था कि क्योंकि चिकन का पूरा सिर उसकी आंखों के कंकाल के पीछे एक छोटे से हिस्से में होता है और माइक की चोंच, चेहरा और आंखें तो निकल गई थीं, लेकिन उसके मस्तिष्क का 80 प्रतिशत हिस्सा बचा रह गया था, जिससे उसका शरीर, धड़कन, सांस, भूख और पाचन तंत्र चलता रहा. इसके बाद से तो फ्रूटा में हर साल ‘हेडलेस चिकन’ महोत्सव मनाया जाने लगा. माइक के ऊपर हो रहे शोध के चलते उसके मालिक उसे पूरे अमरीका में भ्रमण करते थे, लेकिन इस सबके बीच वो उसका पूरा ध्यान भी रखते थे. जैसे वो नियमित रूप से उसको ड्रॉप से जूस वगैरह दिया करते थे और उसकी भोजन नली को सीरिंज से साफ करते थे जिससे माइक का गला चोक न हो. इस दौरान 18 महीने बाद एक बार वे सीरिंज एक कार्यक्रम में भूल गए और जब तक दूसरे का इंतज़ाम होता, माइक की दम घुटने से मौत हो गई.