सरकार महिलाओं के लिए खासतौर पर कई बचत योजनाओं की पेशकश करती है। ऐसी योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं की वित्तीय स्थिति को मजबूत करना है। गर्ल चाइल्ड से महिला बनने तक के सफर में हायर एजुकेशन की फीस, मेडिकल एक्सपेंस, होम लोन आदि जैसे कई सारे खर्च शामिल होते हैं। बैंक और फाइनेंशियल सर्विस कंपनियां महिला उद्यमियों को कई प्रकार के बेनिफिट और स्कीम्स उपलब्ध करवाती हैं।
कम ब्याज दर पर लोन: महिलाओं को होम लोन, व्हीकल लोन, पर्सनल लोन आदि लोन पर कम ब्याज दर की पेशकश की जाती है। सामान्य दरों और महिलाओं को दी जाने वाली दरों के बीच ब्याज दर में अंतर 5 आधार अंकों से 10 आधार अंकों तक होता है। कई शेड्यूल कमर्शियल बैंक भी वर्किंग वुमेन के लिए स्पेशल सेविंग बैंक अकाउंट और क्रेडिट कार्ड ऑप्शन की पेशकश करते हैं।
कम स्टाम्प शुल्क: प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन के लिए महिलाओं के नाम पर खरीदने पर राज्यों की तरफ से स्टांप शुल्क कम है। अगर महिला के नाम पर मकान का रजिस्ट्रेशन होता है तो स्टांप शुल्क सामान्य दरों के मुकाबले 2 से 2.5 फीसद कम हो सकता है।
सुकन्या समृद्धि खाता: भारत सरकार की तरफ से महिलाओं के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया सुकन्या समृद्धि अकाउंट एक लॉन्ग टर्म सेविंग स्कीम है। इसमें लाइफ के कई खर्च जैसे 18 वर्ष या उसके बाद हायर एजुकेशन फीस और शादी का खर्च आदि शामिल है। लड़की के माता-पिता या कानूनी अभिभावक 10 साल या उससे कम उम्र में बेटी के नाम पर सुकन्या समृद्धि अकाउंट खोल सकते हैं।
अधिकतम दो गर्ल चाइल्ड के लिए यह अकाउंट खोला जा सकता है, जबकि एक साथ जुड़वां लड़कियों ने जन्म लिया है तो अधिकतम 3 सुकन्या समृद्धि अकाउंट भी खोले जा सकते हैं। इस पर 8.6 फीसद की ब्याज दर मिलती है। एक वित्त वर्ष में न्यूनतम 1,000 रुपये से लेकर अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं। अकाउंट खोलने से 21 साल तक लॉक-इन पीरियड है, अगर अकाउंट होल्डर की शादी 21 साल से पहले ही हो जाती है तो अकाउंट बंद भी किया जा सकता है। माता-पिता या गर्ल चाइल्ड 18 साल की उम्र के बाद हायर एजुकेशन और शादी के लिए बीच में पैसा निकालने के लिए अप्लाई कर सकते हैं।