पुरूष कोरोना संक्रमण के कारण महिलाओं के मुकाबले अधिक गंभीर हुए। संजय गांधी पीजीआइ के राजधानी कोविड अस्पताल में भर्ती होने होने वाले मरीजों के आंकडे इसी तथ्य की गवाही देते है। संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन आन-लाइन प्रेस वार्ता के जरिए संस्थान में कोरोना मरीजों के देख-भाल, इलाज की सफलता सहति तमाम जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक 824 कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती किया गया जिसमें से 71 फीसदी पुरूष और 29 फीसदी महिलाएं थी। इससे साबित होता है कि पुरूषों में कोरोना का संक्रमण महिलाओं के मुकाबले अधिक गंभीर हो रहा है।
संस्थान के कोविड अस्पताल में कोरोना संक्रमण के कारण परेशानी होने पर भर्ती के लिए प्रदेश भर से मरीज भेजे जाते है। संस्थान दो सौ बेड आईसीयू के है जिसमें गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाता है। इस समय 164 मरीज भर्ती है। 660 मरीजों मे से 573 मरीज ठीक होकर घर जा चुके है। 87 मरीजों की मत्यु हुई जो 13 फीसदी दर है। हम लोगों ने आठ महीने के बच्चे को ठीक करके भेजा है तो 90 और 83 साल के बुजुर्ग मरीजों को भी ठीक करते भेजने में सफलता हासिल की है। किडनी के खराबी वाले मरीजों के लिए डायलसिस की सुविधा भी की गयी है रोज 10 से 12 मरीजों की डायलसिस कोरोना अस्पताल में की जा रही है। अगस्त से 500 से अधिक किडनी खराबी मरीजों की डायलसिस कर चुके है। निदेशक ने बताया कि वह लगातार प्रदेश के मेडिकल कालेजों सहित अन्य स्टाफ, डाक्टर के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहे है।
24 घंटे सुविधा
प्रो.धीमन ने बताया कि संस्थान लगभग एक लाख 94 हजार लोगों में कोरोना संक्रमण की जांच पीसीआऱ तकनीक से कर चुका है। इसके अलावा टू नेट से 4 हजार से अधिक मरीजों में जांच की जा चुकी है। 24 घंटे लैब चलती है जहां पर सभी जांचे हो रही है। खास तौर भर्ती मरीजों के लिए बडी सहूलियत है। 24 घंटे एचआरएफ फार्मेसी भी काम कर रही है। मरीजों के खाना उनकी सेहत के आधार पर देने की व्यवस्था की गयी है। जिसमें डायटीशियन और इडोक्राइनोलाजिस्ट मिल कर पोषण की जरूरत पर ध्यान देते है
बढती गयी इलाज की सफलता दर
अप्रैल- 67 फीसदी
मई- 91
जून-78.5
जुलाई-89
अगस्त- 87