मध्य प्रदेश पर कर्नाटक के बाद अब नजरें

कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार गिरने के बाद अब नजरें सबकी मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर है। राजनितिक गलियारों में इस बात की अटकलें तेज है कि भाजपा का अगला संभावित निशाना मध्य प्रदेश हो सकता है। अटकलों को जोर तब मिला जब मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि मध्यप्रदेश में जल्द ही सरकार अपना पिंडदान करवाएगी। उन्होंने कहा कि लंगड़ी सरकारों का यही हाल होता है। अब कर्नाटक में बेहतर तरीके से विकास होगा। मध्यप्रदेश की भी लगभग यही स्थिति है, क्योंकि यहां ट्रांसफर उद्योग चल रहा है। किसानों के साथ छल कपट कर उनसे वोट ले लिए गए। मध्यप्रदेश में लूट-खसोट, भ्रष्टाचार और चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है।

मुझे विश्वास है मध्यप्रदेश की सरकार भी अपना पिंडदान करवाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि,’हम यहां (मध्य प्रदेश) सरकार गिराने का कारण नहीं बनेंगे। कांग्रेस नेता खुद ही सरकार के पतन के लिए जिम्मेदार होंगे। कांग्रेस पार्टी के भीतर कलह है और उसे बसपा का समर्थन हासिल है, अगर कुछ होता है तो हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। शिवराज के बयान पर पलटवार करते हुए कमलनाथ सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा ने हमारे लिए समस्याएं पैदा करने के लिए सब कुछ किया है, लेकिन यह कमलनाथ की सरकार है, कुमारस्वामी की नहीं, उन्हें इस सरकार को हिलाने के लिए सात जन्म लेने होंगे। दरअसल 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 114 और भाजपा के 109 विधायक हैं। कांग्रेस को बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला है।

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