मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का संगठन तैयारियों में जुट गया है। इन सबके बीच रविवार को हाईलेवल बैठक भोपाल के भाजपा कार्यालय में रखी गई। इस बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया कि चुनाव से पहले संगठन में बड़ा बदलाव होगा। नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव ली स्थिति देखने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि करीब 18 जिलाध्यक्षों पर गाज गिरेगी। भाजपा संगठन ने इन जिलाध्यक्षों के काम से बेहद नाराजगी जताई।
जानकारी के अनुसार संगठन जबलपुर, ग्वालियर, सतना, मुरैना, सिंगरौली और रीवा के जिला अध्यक्षों से बेहद नाराज दिखा। इन सभी जिलों में हुए नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में पार्टी और अध्यक्षों का परफॉर्मेस बेहद खराब था। और इसलिए साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इन जिलों में बड़ा बदलाव करने का मन बना लिया है। जिसके कारण अब इन जिलाध्यक्षों का हटना लगभग तय है।
वहीं इस बैठक में आगामी निकाय चुनाव को लेकर बड़ा टास्क दिया गया है। 40 निकायों को लेकर 13 जिलाध्यक्षों को संगठन में बड़ा टास्क दिया गया है। इन सभी 13 जिलाध्यक्षों को किसी भी हाल में सभी नगरीय निकाय चुनाव जीतने का टास्क दिया गया है। आलाकमान ने इन सभी जिलाध्यक्षों को साफ तौर पर कह दिया है कि अगर परफार्मेंस खराब रहा तो कार्रवाई को तैयार रहें।
सूत्रों की माने तो बैठक में प्रभारी मंत्रियों के जिले में ध्यान नहीं देने का भी मुद्दा उठा। जिसके बाद संगठन ने तय किया है कि जिले के प्रभारी मंत्रियों के बीच नया प्रयोग करेगा। अब दो-दो मंत्रियों की समिति बनाकर जिले की कमान सौंपी जाएगी। और एक समिति को तीन जिलों की जिम्मेदारी देने का फैसला लिया गया।
इसके अलावा कोर कमेटी की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में आगामी भाजपा की चिंतन बैठक अमरकंटक में होने पर चर्चा हुई। संगठन नवंबर से पहले चिंतन बैठक करने की तैयारी में है। इसके साथ ही बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा चलाने का भी निर्णय लिया गया।
बता दें कि भाजपा की सोमवार को एक और बड़ी बैठक होगी। जिसमें हारी हुई सीटों पर प्रभारी बनाए है। प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 127 सीटों पर भाजपा के विधायक है। तो वहीं 96 सीटों पर कांग्रेस, 4 पर निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सीट पर सपा विधायक है। भाजपा हारी सीटों के प्रभारियों के साथ 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर रणनीति तय करेंगी। और अभी से प्रभारियों को क्षेत्र में संगठन के साथ सक्रिय कर दिया जाएगा।