डॉ. आंबेडकर जयंती से शुरू हुए भाजपा के इस ‘ग्राम स्वराज अभियान’ के दौरान खामियां भी सामने आईं। मुख्यमंत्री सहित कुछ स्थानों पर मंत्रियों के सामने लोगों ने सरकारी मशीनरी की करतूतें भी खोलीं। कुछ स्थानों पर योजनाओं का लाभ दिलाने के एवज में वसूली की शिकायतें भी सामने आईं।
भाजपाइयों ने यह सच भी देखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार साल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक साल की सरकार के कामों के बारे में लोग जानते तो हैं लेकिन सरकारी मशीनरी के रवैये के चलते उसका पूरा लाभ लोगों को नहीं मिला है।
पूरा लाभ दिलाने के लिए जमीनी काम पर और ध्यान देने तथा सरकारी मशीनरी का पेंच कसने की जरूरत है। हालांकि कुछ खामियों के बावजूद यह अभियान भगवा खेमे को संतुष्ट करने वाला रहा। संपर्क व संवाद के बाद अब समाधान की बारी है जिसके जरिये 2019 के मद्देनजर जमीन मजबूत की जा सके।
पार्टी के एक नेता स्वीकार करते हैं कुछ जगह मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के कारण किरकिरी भी हुई। बावजूद इसके सरकार और पार्टी के अधिकतर लोग गांव वालों के बीच पहुंचे और चौपाल लगाकर उनका दुख-दर्द जाना। अलग-अलग विभागों से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी कराया। भविष्य में इसका निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।
सबसे बड़ी बात पार्टी को इस अभियान के सहारे कार्यकर्ताओं के अलावा मंत्रियों, सांसदों तथा विधायकों को जनता के बीच पहुंचा तो दिया ही। भाजपा नेता अमित पुरी कहते हैं कि इस अभियान के बीच सरकार का कई अधिकारियों का तबादला करना, विधायकों के प्रस्ताव पर 45 दिन में काम के आदेश, चौपाल में ही गरीबों के घरों को बिजली कनेक्शन और उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन, प्रधानमंत्री आवास दिलाना यह साबित करता है कि सरकार ने फीडबैक पर काम शुरू कर दिया है।