भागलपुर जिले के प्रखंड माधोपुर पंचायत के बलिया पट्टी गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन वर्षों से बनकर तैयार है। लेकिन आज तक न उद्घाटन हुआ और न ही उप स्वास्थ्य केंद्र चालू हुआ। जबकि इस गांव में एक उप स्वास्थ्य केंद्र भाड़े के मकान में चलता है। विभागीय लापरवाही के चलते भूमिदाता स्वर्गीय बृजनंदन सिंह का सपना आजतक अधूरा है। वहीं अस्पताल चालू नहीं होने से भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है।

भारतीय किसान संघ के प्रांत उपाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, मुखिया शांति देवी, पैक्स अध्यक्ष श्रीनिवास सिंह, सुदामा सिंह, गुल महमद, क्यामुद्दीन, ओम सिंह, मनन मिश्रा, हरेंद्र सिंह, मुन्ना सिंह, रवि ठाकुर, दिलीप पड़ित, गांधी कुशवाहा, बंका यादव, शंभु सिंह, कविंद्र सिंह, अमर सिंह काका, संजय सिंह, मैना देवी, ममता देवी, नीला देवी, संगीता देवी, प्रभा सिंहा, शारदा देवी व सीमा देवी ने बताया कि दस साल से भी अधिक समय से भवन बनकर तैयार है। लेकिन आजतक अस्पताल चालू नहीं हुआ। जिसके चलते भवन असामाजिक तत्वों का स्थाई अड्डा बन गया है।
देखरेख के अभाव में भवन में लगे दरवाजे और खिड़की असामाजिक तत्व उखाड़ ले गए। ग्रामीणों ने बताया कि भूमिदाता ने यह सोचकर भूमि दी थी कि अस्पताल बनने से लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। लेकिन उनका सपना अधूरा रह गया। अपनी भूमि पर बने अस्पताल के चालू होने की राह देखते हुए वे दुनिया से विदा हो गए। लेकिन विभाग के लोग अस्पताल चालू कराने नहीं आए। इसलिए सरकारी योजना के लिए भूमि दान देने में लोगों का उत्साह कम पड़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि जिले के डीएम को हस्तक्षेप कर अस्पताल चालू करने की दिशा में पहल करनी चाहिए।
दो हजार से अधिक की आबादी को होगा लाभ
बलिया पट्टी में उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए बने भवन में अस्पताल के चालू हो जाने से दो हजार से अधिक की आबादी को लाभ होगा। अस्पताल के चालू हो जाने से बलिया पट्टी गांव के साथ ही गौर बुजुर्ग व धनपुरा गांव के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलने लगेगी। इन गांवों के लोगों को स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए दूसरे गांव में जाना पड़ता है। तीनों गांवों को मिलाकर दो हजार से अधिक की आबादी है।
भूमिदाता का सपना रह गया अधूरा
अस्पताल के चालू नहीं होने से भवन बनने के लिए भूमि दान देने वाले बलिया पट्टी गांव के बृजनंदन सिंह का सपना अधूरा है। उन्होंने जनहित को ध्यान में रखकर भूमि दान दिया। इस सोच के साथ कि अस्पताल बन जाने से गांव के लोगों को अन्यत्र नहीं जाना पड़ेगा। ग्रामीणों ने बताया कि बृजनंदन सिंह नेकदिल व दूरदर्शी सोच वाले इंसान थे। अस्पताल बनने के लिए भूमि दान देने में देरी नहीं की। भवन बन जाने बाद वे अस्पताल के चालू होने की राह देखते रहे। लेकिन विभागीय लापरवाही ने उनके सपने को पुरा नहीं होने दिया।
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