गोरखपुर में मोदी केमिकल्स गीडा में करीब 10,000 ऑक्सीजन सिलिंडर प्रतिदिन क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट लगाने जा रही है। तकरीबन 200 करोड़ की लागत से स्थापित होने वाली यह फैक्टरी जापानी तकनीकी से लैस होगी। गीडा में ऑक्सीजन की फैक्टरी संचालित कर रहे उद्यमी प्रवीण मोदी के साथ ही कोलकाता और हरियाणा के उद्यमी भी इसमें निवेश कर रहे हैं।
गीडा औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित होने वाला यह एयर सप्रेशन टन्स प्लांट पूरी तरह से जापानी तकनीक से लैस होगा। इसको स्थापित करने के लिए तकरीबन सात एकड़ जमीन की आवश्यकता पड़ेगी। उद्यमी प्रवीण मोदी को उम्मीद है कि उन्हें गीडा में यह जमीन आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने बताया कि अगर किसी वजह से गीडा में जमीन मिलने में दिक्कत होगी तो लखनऊ में फैक्टरी स्थापित करने का भी विकल्प है।
उद्यमी प्रवीण मोदी ने कहा कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की एक बड़ी फैक्टरी की जरूरत गोरखपुर में है। ऐसे में जापानी तकनीकी से युक्त एक प्लांट स्थापित करने की योजना तैयार की है। जापानी कंपनियों से दो चरण की बात भी हो चुकी है। इस फैक्टरी को स्थापित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है बिजली। हमें 2000 केवीए बिजली की आवश्यकता पड़ेगी। वह भी बिना ट्रिपिंग वाली। इस फैक्ट्री के स्थापित होने के बाद हम लखनऊ, वाराणसी और कानपुर की जरूरतों को भी पूरी कर सकेंगे।
इस फैक्टरी में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन के अलावा आर्गन गैस का भी उत्पादन होगा। आर्गन गैस का इस्तेमाल स्टील वेल्डिंग में होता है। वहीं ऑक्सीजन का मेडिकल और नाइट्रोजन का इंडस्ट्रीयल फील्ड में।
गीडा में वर्तमान में जो ऑक्सीजन की फैक्टरियां हैं, या लगने जा रही हैं, उनकी क्षमता 10 टन प्रति दिन की है। लेकिन जापानी टेक्नोलॉजी से स्थापित होने जा रही इस फैक्ट्री में उत्पादन की क्षमता प्रति दिन 100 टन की होगी। सामान्य तौर पर एक सिलिंडर में आठ लीटर ऑक्सीजन या अन्य किसी गैस की फिलिंग होती है। ऐसे में स्थापित होने जा रही इस फैक्टरी में प्रति दिन करीब 10 से 11 हजार सिलिंडर प्रति दिन तैयार होंगे।
इस ऑक्सीजन फैक्टरी को स्थापित करने के लिए मोदी केमिकल्स की पहले चीन की कंपनी से बात हो रही थी, लेकिन सीमा पर चीन के साथ तनाव के बाद मोदी केमिकल्स ने चीन की मदद से फैक्टरी स्थापित करने की अपनी योजना स्थगित कर दी। अब जापान से कंपनी की बात चल रही है। दो चरण की बातचीत हो भी चुकी है।
यह फैक्टरी पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड होगी। अगर किसी भी तरह की गड़बड़ी होती है तो उसे जापान के इंजीनियर वहां से ही दुरुस्त कर देंगे। दरअसल इस मशीन के संचालन में मैनुअली कुछ नहीं होगा। ऐसे में इसे कहीं से भी एक्सेस करके ऑपरेट किया जा सकता है। मोदी केमिकल्स के प्रवीण मोदी ने बताया कि हालांकि बेहतर देखरेख के लिए कुछ विशेषज्ञ भी प्रशिक्षित कराए जाएंगे।