भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने नौ सरकारी बैंकों पर 50 लाख रुपये से लेकर दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया है। संबंधित बैंकों द्वारा शेयर बाजारों को दी गई जानकारियों के मुताबिक इलाहाबाद बैंक और बैंक और महाराष्ट्र पर दो करोड़ रुपये प्रत्येक, बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) बैंक ऑफ इंडिया (बीओआइ), इंडियन ओवरसीज बैंक (आइओबी) तथा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर डेढ़ करोड़ रुपये प्रत्येक तथा ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) पर एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाया गया है। इन बैंकों पर दिए गए कर्ज की मॉनिटरिंग में ढुलमुल रवैया अपनाने समेत नियामक संबंधी कई पहलुओं की अनदेखी के आरोप सही साबित हुए।

देश के सबसे बड़े सार्वजनिक कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआइ ने पाया है कि धोखाधड़ी से संबंधित जानकारियां उस तक पहुंचाने में बैंक ने देरी की। शेयर बाजारों को दी जानकारी में एसबीआइ ने कहा कि बैंकिंग नियामक ने बैंकिंग रेगुलेशंस एक्ट की धाराओं का उपयोग करते हुए उस पर यह जुर्माना लगाया है। सार्वजनिक क्षेत्र के कर्जदाता पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) पर भी आरबीआइ ने 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। शेयर बाजारों को दी जानकारी में बैंक ने कहा कि किंगफिशर एयरलाइंस को दिए कर्ज के मामले में धोखाधड़ी से संबंधित जानकारियां आरबीआइ को देने में उसने देरी की।
नई दिल्ली : सरकारी क्षेत्र के कर्जदाता कॉरपोरेशन बैंक का शुद्ध लाभ 100 करोड़ रुपये को पार कर गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून, 2019) में बैंक ने 22 फीसद उछाल के साथ 103.28 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में बैंक को 84.96 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। वहीं, बीते समीक्षाधीन अवधि से ठीक पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च, 2019) में बैंक को 6,581.49 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था। बीते वित्त वर्ष में बैंक का कुल घाटा 6,332.98 करोड़ रुपये रहा था।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कॉरपोरेशन बैंक की कुल आय घटकर 4,417.88 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4,977.92 करोड़ रुपये थी। हालांकि संपत्ति की गुणवत्ता के मोर्चे पर कई अन्य बैंकों की तरह कॉरपोरेशन बैंक में भी सुधार दिख रहा है। समीक्षाधीन अवधि में बैंक का सकल फंसा कर्ज (एनपीए) घटकर 15.44 फीसद रह गया। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 17.44 फीसद था। बैंक का नेट एनपीए भी पहली तिमाही में 11.46 फीसद से घटकर 5.69 फीसद रह गया। समीक्षाधीन अवधि में एनपीए और आकस्मिक मदों को मिलाकर बैंक ने 715.98 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इस मद में बैंक को 1,508.43 करोड़ रुपये का प्रावधान करना पड़ा था।
गौरतलब है कि एनपीए के जंजाल में फंस जाने की वजह से ही आरबीआइ ने कॉरपोरेशन बैंक को प्रांप्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के दायरे में रखा हुआ था। वित्तीय स्थिति सुधरने के बाद इस वर्ष फरवरी में बैंक को इस बंधन से मुक्त कर दिया गया। पीसीए के दायरे में आए बैंकों पर कई तरह की पाबंदियां लग जाती हैं।
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